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मुंबई : एंटी-करप्शन ब्यूरो ने जज से जुड़े 15 लाख के रिश्वत मामले में कार्रवाई करने की इजाज़त मांगी 

मुंबई : एंटी-करप्शन ब्यूरो ने जज से जुड़े 15 लाख के रिश्वत मामले में कार्रवाई करने की इजाज़त मांगी  एंटी-करप्शन ब्यूरो के एक सीनियर अधिकारी ने कन्फर्म किया कि एजेंसी ने पिछले हफ़्ते बॉम्बे हाई कोर्ट को एक कम्युनिकेशन भेजा था, जिसमें एडिशनल सेशंस जज एजाजुद्दीन काज़ी से जुड़े ₹15 लाख के रिश्वत मामले में कार्रवाई करने की इजाज़त मांगी गई थी। एंटी-करप्शन ब्यूरो  के जांच शुरू करने के बाद से ज्यूडिशियल ऑफिसर “गायब” हैं। 
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मुंब्रा दुर्घटना; गैर इरादतन हत्या के दो इंजीनियरों कोअतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अग्रिम ज़मानत से इनकार 

मुंब्रा दुर्घटना; गैर इरादतन हत्या के दो इंजीनियरों कोअतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अग्रिम ज़मानत से इनकार  मुंब्रा में 9 जून को हुई दुर्घटना के लिए गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किए गए मध्य रेलवे (सीआर) के दो इंजीनियरों को ठाणे के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया। इस दुर्घटना में दो भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेनों से गिरकर पाँच यात्रियों की मौत हो गई थी। उनके वकील बलदेव सिंह राजपूत ने बताया कि आरोपी इंजीनियर बॉम्बे हाईकोर्ट में ज़मानत के लिए नई अर्ज़ी दाखिल करेंगे।सीआर की आंतरिक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ट्रेनों में यात्रियों के उभरे हुए बैग एक-दूसरे से टकरा गए, जिससे एक व्यक्ति गिर गया और पाँच लोगों की मौत हो गई। 
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मुंबई : मराठा आरक्षण आंदोलन; जज को हाईकोर्ट तक पैदल तय करनी पड़ी दूरी

मुंबई : मराठा आरक्षण आंदोलन; जज को हाईकोर्ट तक पैदल तय करनी पड़ी दूरी बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए एक्टिविस्ट मनोज जारंगे पाटिल और उनके समर्थकों को कड़ी फटकार लगाई है. जिनकी वजह से मुंबई की सड़कें जाम हो गई हैं. बीते दिन प्रदर्शनकारियों ने एक जज की कार को रोक दिया, जिसकी वजह से उन्हें हाईकोर्ट तक पहुंचने के लिए कुछ दूरी पैदल तय करनी पड़ी. 
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नई दिल्ली : SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के खिलाफ टिप्पणी हटाई

नई दिल्ली : SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के खिलाफ टिप्पणी हटाई सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 8 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज प्रशांत कुमार को लेकर की गई अपनी उस टिप्पणी को हटा लिया है जिसमें उनकी एक सिविल विवाद मामले में आपराधिक कार्यवाही को अनुमति दिए जाने की आलोचना की थी। कोर्ट ने कहा कि उसका इरादा उन्हें शर्मिंदा करना या उन पर आरोप लगाना नहीं था। जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दोहराया कि ये टिप्पणियां न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए की गई थीं।
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