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Read More... भाईंदर पश्चिम के पाँच गाँवों के लिए जारी की गई विकास योजना; ग्रामीणों में तीव्र असंतोष
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By Online Desk
मीरा-भाईंदर महानगरपालिका द्वारा भाईंदर पश्चिम के पाँच गाँवों उत्तन, पाली, चौक, तरोड़ी और डोंगरी के लिए जारी की गई विकास योजना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में तीव्र असंतोष फैल गया है। ग्रामीणों का कहना है कि योजना को समझने और आपत्तियाँ दर्ज कराने के लिए मनपा प्रशासन द्वारा दी गई 30 दिन की अवधि अपर्याप्त है और इसे एमआरटीपी अधिनियम की धारा 26 के अनुसार 60 दिन तक बढ़ाया जाना चाहिए। मुंबई : एसटी आरक्षण व्यवस्था ठप; दिवाली के पहले अपने गांव जाने वाले यात्रियों को अनावश्यक परेशानी
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अक्सर दिवाली की छुट्टियों में हर साल लोग एसटी बस से अपने गांव जाते हैं, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी यात्रियों को अपने गांव पहुंचना मुश्किल लग रहा है। दिवाली के पहले अपने गांव जाने वाले एसटी यात्रियों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने जो सोच कर यात्रियों की टिकट बुकिंग के लिए नियम निकाला वो अब यात्रियों के लिए सुविधाजनक कम और मुश्किल बढ़ाने का काम ज्यादा कर रहा है। बीड : बाढ़ का कहर, सेना को बुलाया गया राहत बचाव के लिए, 5-6 गांव पूरी तरह से डूबे, सड़क संपर्क टूटा
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साल 2025 का मानसून देश के लिए आफतों भरा रहा. बाढ़, बारिश और भूस्खलन ने देश के ज्यादातर हिस्सों में कहर बरपाया. सेना पहले दिन से ही राहत और बचाव के काम में जुटी हुई है. भारी बारिश के चलते अब महाराष्ट्र के बीड जिले के कुछ इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. बीड के अष्टी तालुका में लगातार भारी बारिश के चलते कड़ा, घाटपिंपरी और आसपास के इलाकों सहित 5-6 गांव पूरी तरह से पानी में डूब गए. पानी का स्तर बढ़ने के चलते कनेक्टिंग रोड पूरी तरह से कट गए हैं. सेना के मुताबिक बीड के डीएम ने सेना से आधिकारिक तौर पर राहत बचाव के लिए अनुरोध किया. सेना ने तुरंत राहत बचाव के अपने ऑपरेशन को शुरू कर दिया, जिसमें तत्काल एरियल इवैक्यूएशन भी शामिल है. बाढ़ प्रभावित गांवों में लगभग 25-30 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें तुरंत रेस्क्यू करना जरूरी है. लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के लिए नया सिरदर्द... गांव जाने वाले वोटरों को कैसे रोकें?
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केंद्रीय चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक 20 मई को मुंबई की छह लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. जैसे ही गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होती हैं, अधिकांश मराठी भाषी अपने-अपने गाँवों की प्रतीक्षा करते हैं। ये सभी मंडलियां स्कूल और कॉलेज शुरू होने से पहले मई के अंत या जून के पहले सप्ताह में मुंबई पहुंचती हैं। 