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मुंबई : हिंदी विवाद में पंजाब का तड़का, मुंबई के स्कूलों में बंटी पंजाबी किताबें... भड़की मनसे

मुंबई : हिंदी विवाद में पंजाब का तड़का, मुंबई के स्कूलों में बंटी पंजाबी किताबें...  भड़की मनसे भांडुप के गुरुनानक स्कूल में बच्चों को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई के लिए पंजाबी भाषा की पुस्तक के वितरण से आक्रोश भड़क गया। गुस्साए मनसे कार्यकर्ताओं ने स्कूल पहुंचकर पुस्तक वापस लेने की मांग की। मनसे कार्यकर्ताओं का कहना था कि महाराष्ट्र में हिंदी की जबरदस्ती नहीं चलेगी और पंजाबी तो बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मनसे कार्यकर्ताओं की मनसे स्टाइल में सबक सिखाने की धमकी के बाद स्कूल प्रशासन ने पुस्तक वापस ले ली है।
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छात्रों को 15 जून से पहले किताबें मिल जानी चाहिए : आयुक्त

छात्रों को 15 जून से पहले किताबें मिल जानी चाहिए : आयुक्त मनपा कक्षा नौवीं व दसवीं के छात्रों को मुफ्त में किताबें प्रदान करती है। इस संबंध में बलभारती से पुस्तकों की उपलब्धता एवं क्रय दोनों कार्य 5 जून तक पूर्ण कर लिये जायें। मुदया शुरू होने के बाद किताबें कराने में मनपा की नाकामी का सीधा असर छात्रों पर पड़ता है। आयुक्त बांगर ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग को त्वरित कदम उठाने चाहिए। साथ ही 20 मई तक स्टेशनरी क्रय की दरें निर्धारित कर अभिभावकों को विद्यालयों के माध्यम से अवगत करायें।
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मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से किताबों के पन्नों में छुपाए थे 90,000 अमेरिकी डॉलर... कस्टम विभाग ने दो विदेशियों को दबोचा 

मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से किताबों के पन्नों में छुपाए थे 90,000 अमेरिकी डॉलर... कस्टम विभाग ने दो विदेशियों को दबोचा  मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर कस्टम विभाग ने बड़ी कार्यवाई करते हुए दो विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया है। विदेशियों ने किताबों के पन्नों में अमेरिकी डॉलर छिपाया था। इसके साथ ही उनके पास से ही पेस्ट के रूप में 2.5 kg सोना भी बरामद किया गया है। दोनों विदेशी यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।  
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पालघर/ भारी बैग का दबाव... किताबों के बीच सिसकते बचपन!

पालघर/ भारी बैग का दबाव... किताबों के बीच सिसकते बचपन! किताबों के बीच सिसकते बचपन ने शिक्षा की बुनियाद को हिलाकर रख दिया है। एक छोटे बच्चे के लिए दस-बारह किताबें रोज स्कूल ले जाना और उन्हें पढ़ना कठिन होता है, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि भारी बैग के दबाव के कारण बच्चे गर्दन, पीठ दर्द का तो शिकार हो ही रहे हैं, साथ ही बस्ते के बढ़ते अनावश्यक बोझ से बच्चे मानसिक रूप से कुंठित भी हो रहे हैं।
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