मुंबई: राष्ट्रीय अन्त्योदय कांग्रेस और सेकुलर अलायंस ऑफ इंडिया को नोटिस जारी; 

Mumbai: Notice issued to Rashtriya Antyodaya Congress and Secular Alliance of India;

मुंबई: राष्ट्रीय अन्त्योदय कांग्रेस और सेकुलर अलायंस ऑफ इंडिया को नोटिस जारी; 

केंद्रीय चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय अन्त्योदय कांग्रेस और सेकुलर अलायंस ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि उनकी राजनीतिक पार्टी पंजीकरण क्यों रद्द न किया जाए। चुनाव आयोग के अनुसार, दोनों पार्टियों ने 2019 के बाद से किसी भी लोकसभा, राज्य विधानसभा या उपचुनाव में भाग नहीं लिया। आयोग ने यह नोट किया कि चुनाव लड़ना किसी भी राजनीतिक पार्टी के पंजीकरण का मूल आधार होता है। ऐसे में, दोनों संगठन अपनी गतिविधियों के मामले में राजनीतिक पार्टी के रूप में कार्य करना बंद कर चुके हैं।

मुंबई: केंद्रीय चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय अन्त्योदय कांग्रेस और सेकुलर अलायंस ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि उनकी राजनीतिक पार्टी पंजीकरण क्यों रद्द न किया जाए। चुनाव आयोग के अनुसार, दोनों पार्टियों ने 2019 के बाद से किसी भी लोकसभा, राज्य विधानसभा या उपचुनाव में भाग नहीं लिया। आयोग ने यह नोट किया कि चुनाव लड़ना किसी भी राजनीतिक पार्टी के पंजीकरण का मूल आधार होता है। ऐसे में, दोनों संगठन अपनी गतिविधियों के मामले में राजनीतिक पार्टी के रूप में कार्य करना बंद कर चुके हैं।

 

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चुनाव आयोग ने इस आधार पर उनकी पंजीकरण रद्द करने का निर्णय लिया है, लेकिन दोनों पार्टियों को अपने पक्ष में तर्क प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया है। दोनों पार्टियों को निर्देश दिया गया है कि वे 4 सितंबर 2025 तक लिखित स्पष्टीकरण, सहायक दस्तावेज और अध्यक्ष या महासचिव के द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत करें। इन मामलों में सुनवाई 11 सितंबर 2025 को महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय, मंतरालय, मुंबई में आयोजित की जाएगी। सुनवाई में पार्टी के नेता यानी अध्यक्ष, महासचिव या मुख्य कार्यकारी अधिकारी का उपस्थित होना अनिवार्य है।

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चुनाव आयोग का यह कदम उन राजनीतिक दलों के खिलाफ है जो लंबे समय तक सक्रिय चुनावी भागीदारी नहीं दिखा रहे हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि चुनावों में भाग लेना किसी भी पार्टी की वैधता और पंजीकरण के लिए अनिवार्य है। यदि पार्टियां अपने पक्ष में संतोषजनक जवाब नहीं देती हैं, तो उनके पंजीकरण रद्द कर दिए जाएंगे। विशेषज्ञों के अनुसार यह निर्णय चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता और सक्रिय राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए अहम है। चुनाव आयोग के नोटिस के बाद इन पार्टियों के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं, और राजनीतिक विश्लेषक इस स्थिति को राजनीतिक दलों की सक्रियता और जिम्मेदारी के लिए एक संकेत मान रहे हैं।

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