मुंबई: मनसे ने दादर इलाके में हिंदी के विरोध में पोस्टर लगाए...
Mumbai: MNS put up posters in Dadar area against Hindi...
मनसे ने दादर में लगाए पोस्टर पर लिखा है कि क्या सरकार है..! महाराष्ट्र में परप्रांतीयों के लिए मराठी सख्ती करनी चाहिए, लेकिन मराठी लोगों पर हिंदी थोप रहे हैं। इसी संदेश को मराठी में भी लिखा गया है, काय सालं सरकार आहे, परप्रांतीयांना महाराष्ट्रात मराठी सक्ती करायच्या ऐवजी मराठी लोकांना हिंदीची सक्ती करत आहेत।
मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना हिंदी भाषा का जमकर विरोध कर रही है। मनसे ने दादर इलाके में हिंदी के विरोध में पोस्टर लगाए है। इससे हिंदी और मराठी भाषा विवाद को फिर एक बार हवा मिल गई है। मनसे ने राज्य सरकार को आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
मनसे ने दादर में लगाए पोस्टर पर लिखा है कि क्या सरकार है..! महाराष्ट्र में परप्रांतीयों के लिए मराठी सख्ती करनी चाहिए, लेकिन मराठी लोगों पर हिंदी थोप रहे हैं। इसी संदेश को मराठी में भी लिखा गया है, काय सालं सरकार आहे, परप्रांतीयांना महाराष्ट्रात मराठी सक्ती करायच्या ऐवजी मराठी लोकांना हिंदीची सक्ती करत आहेत।
ये पहली बार नहीं है जब MNS ने हिंदी विरोधी पोस्टर लगाए हैं। जब राज्य सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी भाषा को अनिवार्य करने का फैसला लिया था, तब भी इस फैसले का विरोध करते हुए MNS ने ऐसे पोस्टर जारी करते हुए सरकार पर परप्रांतीयों को खुश करने और मराठी संस्कृति को दबाने का आरोप लगाया था। पार्टी का कहना है कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा की अनदेखी कर हिंदी को थोपा जा रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है।
अप्रैल में राज ठाकरे की तस्वीर वाले पोस्टर के जरिए एक तीखा संदेश देते हुए पोस्टर में लिखा कि हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं। उस समय भी इसी तरह की भावना जाहिर की गई थी कि हिंदी भाषा को जबरन थोपा जा रहा है और मराठी अस्मिता को दरकिनार किया जा रहा है। दादर इलाके में यह दूसरी बार है जब MNS ने इस प्रकार का सार्वजनिक विरोध किया है।
MNS का स्पष्ट कहना है कि हिंदी राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं। अगर आज हिंदी थोप रहे हैं तो कल गुजराती या तमिल भी थोपी जा सकती है। यह जबरदस्ती नहीं चलेगी। हम मराठी हैं और मराठी ही सीखेंगे। इसके लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। ऐसे बयानों से यह साफ है कि MNS मराठी अस्मिता के मुद्दे को आगामी समय में और तेजी से उछाल सकती है। सरकार की तरफ से इस पर अभी कोई सीधा जवाब नहीं आया है।


