मुंबई : मनपा टेंडर के मार्फत करेगी लीज की जमीन का विकास...

Mumbai: Municipal Corporation will develop leased land through tender...

मुंबई : मनपा टेंडर के मार्फत करेगी लीज की जमीन का विकास...

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मनपा को मिली जमीन का विकास करने का अधिकार मनपा को है। मनपा अब इस जमीन का टेंडर प्रक्रिया कर विकास करने की योजना बना रही है। बता दें कि सेंचुरी टेक्सटाइल मिल को मनपा ने यह जमीन लीज पर दी हुई थी, जिस पर मिल मालिक को मिल शुरू रहने तक मजदूर के रहने के लिए आवास की सुविधा आदि देने के लिए दी गई थी।

मुंबई : सेंचुरी टेक्सटाइल मिल की मनपा द्वारा दी गई लीज की जमीन का विकास मनपा टेंडर के मार्फत करेगी। मनपा प्रशासन ने जमीन पर खडी इमारत का टेबल सर्वे शुरू किया है, जिससे इमारतों में रह रहे मिल मजदूरों की संख्या निश्चित हो सके और दुकान की संख्या निश्चित हो सके।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मनपा को मिली जमीन का विकास करने का अधिकार मनपा को है। मनपा अब इस जमीन का टेंडर प्रक्रिया कर विकास करने की योजना बना रही है। बता दें कि सेंचुरी टेक्सटाइल मिल को मनपा ने यह जमीन लीज पर दी हुई थी, जिस पर मिल मालिक को मिल शुरू रहने तक मजदूर के रहने के लिए आवास की सुविधा आदि देने के लिए दी गई थी।

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जमीन मनपा को वापस देने का निर्देश दिया
मिल के बंद हो जाने के बाद मनपा अपनी लीज की जमीन वापस लेने की शुरुआत की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट में लीज पर दी गई जमीन मनपा को वापस देने का निर्देश दिया। जिसके आधार पर मनपा अब इस जमीन का सर्वे शुरू किया है। सर्वेक्षण पूरा होते ही निविदा जारी की जाएगी।

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प्रस्तावित योजना के अनुसार, यहां एक आवासीय संकुल बनाया जाएगा, जिसमें कुछ घर वर्तमान में रह रहे टेक्सटाइल मजदूरों को दिए जाएंगे, जबकि बाकी घरों की बिक्री की जाएगी। इस परियोजना से मुंबई महानगरपालिका को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है। छह एकड़ जमीन मूलतः 1 अप्रैल 1927 से 28 वर्षों के लिए सेंचुरी स्पिनिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड को गरीब वर्ग के कर्मचारियों के लिए दी गई थी।

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इस जमीन पर कंपनी ने 476 कमरे, 10 दुकानें और चालें बनाई थीं। यह पट्टा 3 अक्टूबर 1928 के समझौते के तहत दिया गया था और 31 मार्च 1955 को समाप्त हो गया। अनुबंध समाप्त होने के बाद जमीन वापस करने के बजाय कंपनी ने इसे अपने नाम करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 14 मार्च 2022 को हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया और जमीन उनके नाम हस्तांतरित करने का आदेश दिया। इसके खिलाफ महानगरपालिका के संपत्ति विभाग ने 13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की।

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