मुंबई: ऐसे लोग हिंदू धर्म का विकृत रूप दिखाकर, शिवाजी महाराज के हिंदू स्वराज का अपमान कर रहे हैं; ‘सामना’ के संपादकीय ने औरंगजेब की कब्र के मुद्दे पर तीखा प्रहार 

Mumbai: Such people are insulting Shivaji Maharaj's Hindu Swaraj by showing a distorted form of Hinduism; 'Saamana' editorial made a sharp attack on the issue of Aurangzeb's tomb

मुंबई: ऐसे लोग हिंदू धर्म का विकृत रूप दिखाकर, शिवाजी महाराज के हिंदू स्वराज का अपमान कर रहे हैं; ‘सामना’ के संपादकीय ने औरंगजेब की कब्र के मुद्दे पर तीखा प्रहार 

महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बीच शिवसेना-यूबीटी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय ने औरंगजेब की कब्र के मुद्दे पर तीखा प्रहार किया है. संपादकीय में कहा गया है कि कुछ नए हिंदुत्ववादी यह दावा कर रहे हैं कि वे औरंगजेब की कब्र को उसी तरह ध्वस्त करेंगे, जैसे बाबरी मस्जिद को गिराया गया था. संपादकीय ने कहा, ‘ऐसे लोग महाराष्ट्र के इतिहास और वीर परंपरा के दुश्मन हैं.

मुंबई:  महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बीच शिवसेना-यूबीटी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय ने औरंगजेब की कब्र के मुद्दे पर तीखा प्रहार किया है. संपादकीय में कहा गया है कि कुछ नए हिंदुत्ववादी यह दावा कर रहे हैं कि वे औरंगजेब की कब्र को उसी तरह ध्वस्त करेंगे, जैसे बाबरी मस्जिद को गिराया गया था. संपादकीय ने कहा, ‘ऐसे लोग महाराष्ट्र के इतिहास और वीर परंपरा के दुश्मन हैं. ये लोग महाराष्ट्र के माहौल को जहरीला बनाना चाहते हैं और खुद को “हिंदू तालिबान” के रूप में पेश कर रहे हैं. 

ऐसे लोग हिंदू धर्म का विकृत रूप दिखाकर, शिवाजी महाराज के हिंदू स्वराज का अपमान कर रहे हैं. शिवाजी महाराज ने किससे संघर्ष किया? मराठाओं ने 25 साल तक दुश्मनों से कैसे लोहा लिया? महाराष्ट्र की धरती पर उन लोगों की कब्रें कैसे बनीं, जिन्होंने महाराष्ट्र के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई? कुछ लोग इस इतिहास को मिटाना चाहते हैं.’ सामना ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपील की है कि वे शिवाजी महाराज के नाम पर की जा रही इस राजनीति को रोकें. 

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‘औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के शौर्य का प्रतीक’
सामना में कहा, ‘औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के शौर्य का प्रतीक है. यह महाराष्ट्र की जिद और मुगलों की पराजय का प्रतीक है. दक्षिण को जीतने के लिए औरंगजेब एक चौथाई शताब्दी तक महाराष्ट्र में रहा. उसके पीछे घुड़सवार सैनिक चलते थे. खेतों को रौंदते हुए वह यहां दूसरी दिल्ली बसाना चाहता था और इसके लिए आठ लाख सैनिकों की सेना साथ लाया था. मावलों से लड़ने के लिए उसने विशेष रूप से मेवाड़ी, बुंदेले, पहाड़ी लोगों को अपने साथ लाया था. तोपखाने पर यूरोपीय गोलंदाज नियुक्त किए गए थे. मराठा साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने की प्रतिज्ञा करके इतनी भारी तैयारी के साथ औरंगजेब बादशाह दक्षिण में आया और औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में डेरा डालकर बैठ गया, लेकिन उसके सपने को मराठों ने धूल में मिला दिया.’ 

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