बीड हिंसा पर निर्दोष मराठों को निशाना बना रही पुलिस - मनोज जारांगे

Police targeting innocent Marathas on Beed violence - Manoj Jarange

बीड हिंसा पर निर्दोष मराठों को निशाना बना रही पुलिस -  मनोज जारांगे

महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती पहुंचे जारांगे ने कहा, "हमने समयबद्ध कार्यक्रम और मराठों को (कुनबी जाति) प्रमाणपत्रों के वितरण के बारे में सरकार के साथ बातचीत की है। हमने राज्य के विभिन्न हिस्सों में हमारे लोगों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में भी बात की है।

महाराष्ट्र : मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने महाराष्ट्र पुलिस पर नाइंसाफी के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीड में हुई हिंसा के मामले में निर्दोष मराठों को फंसाया जा रहा है। मंगलवार जालना में पत्रकारों से बात करते हुए जारांगे ने आरोप लगाया कि जिन मराठों का बीड में हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी देने के अंदाज में कहा, अगर अन्याय जारी रहा तो समुदाय सड़कों पर उतरेगा।

महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती पहुंचे जारांगे ने कहा, "हमने समयबद्ध कार्यक्रम और मराठों को (कुनबी जाति) प्रमाणपत्रों के वितरण के बारे में सरकार के साथ बातचीत की है। हमने राज्य के विभिन्न हिस्सों में हमारे लोगों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में भी बात की है।

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समुदाय शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहा है, लेकिन उन्हें परेशान किया जा रहा है। निर्दोष लोगों को पुलिस ले जा रही है। बता दें कि मराठा आरक्षण के लिए अपनी दूसरी भूख हड़ताल के बाद जारांगे 10 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। अस्पताल में सेहत की निगरानी के बाद कार्यकर्ता मनोज जारांगे को रविवार को छुट्टी दे दी गई।

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जारांगे ने आरोप लगाया कि जिन लोगों का बीड में मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं था, उन्हें परेशान किया जा रहा है। अधिकारियों ने हिंसा में भाग लेने के आरोपी के तौर पर 7,000 लोगों की सूची बनाई है। उन्होंने कहा, "आंदोलन को दबाने के लिए चाहे कितना भी दबाव हो, हम नहीं रुकेंगे।

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अगर लोगों के साथ अन्याय हुआ तो बीड में मराठा समुदाय सड़कों पर उतरेगा। हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करेंगे लेकिन हमारे साथ हो रहे अन्याय को रोकेंगे।" जारांगे ने कहा, "हम 24 दिसंबर तक राज्य सरकार को परेशान नहीं करेंगे। लेकिन हम उसे आगामी शीतकालीन सत्र के बारे में याद दिला रहे हैं।

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उनके पास आरक्षण के बारे में निर्णय लेने का अवसर है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो वे एक विशेष सत्र आयोजित कर सकते हैं।" उन्होंने आगाह किया कि यदि मराठा आरक्षण के लिए जरूरी नियम कानून बनाने में और देरी हुई तो आंदोलन करेंगे। बता दें कि इस महीने की शुरुआत में आंदोलन के दौरान बीड शहर और जिले में कुछ जन प्रतिनिधियों के घरों में आग लगा दी गई थी।

मराठा आरक्षण मुद्दे को हल करने के लिए जारांगे की तरफ से सरकार के लिए 24 दिसंबर की समय सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा है कि कार्यकर्ता 15 से 25 नवंबर तक राज्य का दौरा करेंगे।