मनीष चिताले की खंडपीठ ने स्वदेशीमील कामगारों के हक में फैसला सुनाया
Manish Chitale's division bench ruled in favor of indigenous workers

मुंबई ( फिरोज सिद्दीकी )बीस वर्ष पूर्व बंद हुई कुर्ला की स्वदेशी मिल कामगारों के हक का फैसला आया है । मनीष चिताले की खंडपीठ ने मिल व्यवस्थापन को तीन महिने के भीतर स्वदेशीमील कामगारों को
उनका हक का घर मुफ्त में तथा बकाया पगार को लिक्विडेटर के पास जमा करवाने के लिए कहा । उल्लेखनीय तौर पर हाई कोर्ट के इस फैसले से जहां 700 कामगारों,टाटा नगर के 125 कामगारों के परिवार में हक का घर वा बकाया पगार की रकम दीये जाने पर खुशी का माहोल व्यप्त है ।
वहीं इस कोर्ट कचहरी की लड़ाई में सभी का योगदान देने वालो का मिल कामगारों ने आभार जताया ।परंतु विशेष आभार शिवसेना शिंदे गुट विधायक मंगेश कुंडलकर का आभार व्यक्त करते हुए कहा की बगैर साहेब के हाथ लगाया ये संभव न हो पाता ।
मंगेश कुंडलकर ने कहा की स्वदेशीमिल कामगारों ने बीस वर्ष पुरानी कोर्ट कचेहरी की लड़ाई लड़ कर आज हाई कोर्ट ने कामगारों के हक में फैसला सुनाया है ।यह बड़ी खुशी की बात है मेरे पिताजी भी गिरणी कामगार थे ।जिससे मैं स्वदेशी मिल कामगारों की समस्या से भली भांति परिचित था ।मंगेश कुंडलकर ने कहा की स्वदेशी कामगारों के हक दिलाने के हर काम में अग्रणी भूमिका आदा किया है ।
जिसदिन कामगारों का बकाया रुपया मिलेगा उस दिन अपने हाथो से उनको दूंगा । मैंने भी प्राण किया है जब तक कामगारों का पैसा नही मिलता तब तक अपना सम्मान के तौर पर एक फूल भी ग्रहण नहीं करूंगा ।जिसदीन हक का घर और बकाया रुपया मिलेगा तब कामगारो का सम्मान स्वीकारूंगा।
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