Lady Singham IPS मंजिल सैनी के पीछे क्यों पड़ी है CBI?
CBI investigation against IPS Manzil Saini...
लखनऊ के चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड मामले में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है। बीते रविवार को मंजिल सैनी को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था। इस हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने मंजिल सैनी को दोषी पाया था।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड मामले में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस मामले में पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक SSP मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तेज हो गई है। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह की मानेंं तो ऐसे मामलों में अगर कोई आईपीएस अधिकारी विभागीय कार्रवाई में दोषी पाया जाता है तो बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है। साल 2017 में हुए श्रवण साहू हत्याकांड मामले में सीबीआई ने जांच तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को दोषी पाया है। मंजिल सैनी को श्रवण साहू की सुरक्षा में लापरवाही बरतने का दोषी माना गया था। लखनऊ की पोस्टिंग के दौरान उन्हें लेडी सिंघम का नाम लोगों ने दिया था... CBI investigation against IPS Manzil Saini...
सीबीआइ ने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को दोषी पाया था। इसको लेकर सीबीआई ने मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसी क्रम में शासन के आदेश पर शुरू की गई जांच में एडीजी इंटेलिजेंस भगवान स्वरूप को जांच अधिकारी और IPS संजीव त्यागी को प्रस्तुतीकरण अधिकारी बनाया गया है। विभागीय जांच के क्रम में 25 जून को बयान दर्ज कराने के लिए मंजिल सैनी को इंटेलिजेंस मुख्यालय बुलाया गया था.... CBI investigation against IPS Manzil Saini...

मंजिल सैनी मौजूदा समय मे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनएसजी में डीआईजी के पद पर तैनात हैं। इस मामले में मंजिल सैनी के साथ सीबीआई ने जांच में तत्कालीन जिलाधिकारी गौरीशंकर प्रियदर्शी को भी लापरवाही के मामले में दोषी पाया था। सीबीआई की जांच में सामने आया था कि प्रियदर्शी ने डीएम रहने के दौरान श्रवण साहू को सुरक्षा देने की फाइल को लटका कर रखा। सीबीआई की जांच में तत्कालीन सीओ एलआईयू एके सिंह भी दोषी पाए गए। विभागीय जांच में तेजी आने से आईपीएस मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.... CBI investigation against IPS Manzil Saini...
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने डिपार्टमेंटल रूल्स का जिक्र किया। इसमें प्रावधान है कि अगर एविडेंस मिले हैं तो डिसमिसल यानी बर्खास्तगी से लेकर क्रिमिनल केस भी फाइल हो सकता है। उन्होंने बताया कि गंभीर आरोप होने पर वेतन रोकने, इंक्रीमेंट और प्रमोशन रोकने जैसी विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है। जांच के दौरान अगर और साक्ष्य, कदाचार के मामले आते हैं तो उसमें एंटीकरप्शन का केस दर्ज कर विजिलेंस के साथ एंटीकरप्शन की जांच भी हो सकती है।उदाहरण के तौर पर उन्होंने पुराने प्रकरण का जिक्र करते हुए बताया कि एक आईपीएस असफर विदेश से कैमरा लाए थे। इस दौरान उनकी गलती ये थी कि उन्होंने ड्यूटी नहीं जमा की। इस मामले में विभागय जांच हुई और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। पूर्व डीजीपी ने बताया कि जांच अधिकारी साक्ष्य के आधार पर विभाग और शासन को कार्रवाई के लिए सिफारिश कर सकते हैं... CBI investigation against IPS Manzil Saini...

