वर्षा गायकवाड बनी मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष

Varsha Gaikwad becomes Mumbai Congress President...

वर्षा गायकवाड बनी मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष

वर्षा गायकवाड़ मुंबई की नई कांग्रेस अध्यक्ष बनाई गई हैं. आखिर क्यों अचानक भाई जगताप को पद से हटाया गया. वर्षा गायकवाड़ की नियुक्ति आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस के दलित वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखी जा रही है.

महाविकास आघाड़ी सरकार में स्कूली शिक्षा मंत्री रहीं और कांग्रेस के दिवंगत नेता एकनाथ गायकवाड की बेटी वर्षा गायकवाड को मुंबई की नई कांग्रेस अध्यक्ष बनाई गई हैं. अशोक भाई जगताप को पद से हटा दिया गया है. वर्षा गायकवाड़ की मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति 2024 के लोकसभा और विधानसभा समेत मुंबई महानगरपालिका को आने वाले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस की रणनीति को साफ करती है. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के.सी. वेणुगोपाल ने इस नियुक्ति का ऐलान किया है. मुंबई के साथ ही गुजरात और पांडिचेरी में भी नए अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है.

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वर्षा गायकवाड़ दलित भी हैं और महिला भी. मुंबई मे बड़ी तादाद में दलित वोटर्स कांग्रेस को वोट देते रहे हैं.महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले पिछड़े वर्ग से हैं और नई मुंबई अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ दलित हैं. इस तरह कांग्रेस पिछड़ा और दलित कॉम्बिनेशन को लेकर आगे बढ़ने की नीति पर चल रही है. अब तक मुंबई अध्यक्ष भाई जगताप थे. वे मराठा जाति से हैं. कांग्रेस ने पिछड़ा और मराठा कॉम्बिनेशन छोड़ कर अब अपने पुराने और परखे हुए दलित वोट बैंक को खुश करने की नीति अपनाई है.

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वर्षा गायकवाड मुंबई के धारावी से साल 2004 से लगातार चार बार विधायक के तौर पर चुनी जाती रही हैं. महाविकास आघाड़ी सरकार में स्कूली शिक्षा मंत्री बनने से पहले भी वे कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में महिला और बालविकास मंत्री के तौर पर काम कर चुकी हैं. पांच साल वे प्राध्यापिका भी रही हैं.

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दूसरी ओर भाई जगताप अप्रैल 2021 में मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए थे. उनकी आक्रामक छवि की वजह से यह जिम्मेदारी दी गई थी और यह समझा गया था कि उनके नेतृत्व में बीएमसी का चुनाव लड़ा जाएगा. लेकिन मुंबई महानगरपालिका का चुनाव आने से पहले ही उन्हें पद से हटाया गया है. फिलहाल वे विधान परिषद के सदस्य हैं. विधायक के तौर पर यह उनका दूसरा टर्म है. इससे पहले वे विधानसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं लेकिन दूसरी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा और विधान परिषद के रास्ते विधायिकी हासिल करनी पड़ी. विधान परिषद का चुनाव भी वे हारते-हारते जीते थे. यानी उनकी ताकत लगातार कम होती हुई दिखाई दे रही थी.

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जानकारों के बीच यह चर्चा हो रही है कि कहीं इसके पीछे एक वजह ठाकरे गुट और प्रकाश आंबेडकर के बीच हुआ गठबंधन तो नहीं? प्रकाश आंबेडकर के बारे में कहा जा रहा है कि वे दक्षिण मध्य मुंबई से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. महाविकास आघाड़ी में ठाकरे गुट कांग्रेस से यह सीट लेकर (जहां धारावी, चेंबूर जैसे दलित बाहुल्य इलाके आते हैं) प्रकाश आंबेडकर को दिलवाना चाह रही है. लेकिन कांग्रेस अपना हक छोड़ने को तैयार नहीं है. कहीं वर्षा गायकवाड़ को मुंबई अध्यक्ष बनाना कांग्रेस की इस सीट पर दावेदारी को और मजबूत करना तो नहीं? यह एक बड़ा सवाल है.

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