कोविड ने मां को छीना, ऑटो चालक पिता ने रिक्शा बेच भरी फीस... बोर्ड रिजल्ट में नेत्रहीन बेटे ने किया कमाल

Blind student Sohan Bhatt scored well in Maharashtra board exams..

कोविड ने मां को छीना, ऑटो चालक पिता ने रिक्शा बेच भरी फीस... बोर्ड रिजल्ट में नेत्रहीन बेटे ने किया कमाल

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने गुरुवार को सुबह 11 बजे बारहवीं के नतीजे घोषित कर दिए हैं। राज्य में 91.25 फीसदी विद्यार्थी पास हुए हैं। इस साल विद्यार्थियों के पासिंग पर्सेंटेज में कमी आई है। पिछले साल की तुलना में इस बार 2.97 फीसदी विद्यार्थी कम पास हुए हैं....

 ठाणे निवासी सोहन कुमार भट जन्म से ही नेत्रहीन हैं। गरीबी और बदहाली में रहते हुए भी उन्होंने बारहवीं की परीक्षा में 80.83 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। सोहन के संघर्ष को देखें तो उनकी कामयाबी परीकथाओं जैसी जान पड़ती है। कोविड संकट के दौरान इलाज के अभाव में उनकी मां की मौत हो गई। उस दौरान सोहन ने दसवीं में 63.20 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, सो पिता को भी उम्मीद बंध गई कि परिवार की जिदगियों में उनका नेत्रहीन बेटा ही रोशनी ला सकता है। इसी उम्मीद की डोर पकड़कर पिता ने सोहन की पढ़ाई के लिए अपना ऑटो रिक्शा बेच दिया..Blind student Sohan Bhatt...

उत्तर प्रदेश स्थित बस्ती जिले के कुसुमी कुंवर के मूल निवासी राम आशीष भट के बेटे सोहन को ग्रेजुएशन कर यूपीएसी परीक्षा देकर कलेक्टर बनना है। सोहन ने आठवीं क्लास में ही आईएएस बनने का सपना सजोंया था और आर्ट्स में दाखिला लिया था। इतिहास में अधिक रुचि रखने वाले सोहन ने बताया कि कलेक्टर बनकर वे उन आम लोगों को मौका और प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं, जो किन्हीं वजहों से समाज में पीछे पिछड़ जाते हैं।

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सोहन के पिता राम आशीष रोजी-रोटी की तलाश में 32 साल पहले ठाणे आए थे और फिर यहीं बस गए। ऑटो रिक्शा चलाकर गुजर-बसर करने वाले राम आशीष के दो बेटे हैं। इनमें सोहन छोटे हैं। शहर के गावंडबाग स्थित कोकणीपाडा के एक छोटे से घर में रहने वाले राम आशीष की पत्नी किरण बीमार चल रही थीं। पैसे की तंगी के चलते वे ठीक से उनका इलाज भी नहीं करा सके और उनकी मौत हो गई...Blind student Sohan Bhatt...

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पिता राम आशीष पर दो बेटों की जिम्मेदारी थी। इस दौरान बड़े बेटे मोहन ने निजी ई-कॉमर्स कंपनी में काम करके घर चलाने में मदद तो की, लेकिन वह इतनी नहीं थी कि घर भी चल सके। सोहन की पढ़ाई के लिए यह प्रयास काफी नहीं था। सोहन की पढ़ाई के लिए राम आशीष को मजबूरी में रिक्शा बेचना पड़ा और वे बेरोजगार हो गए। हालांकि 12वीं के नतीजों के बाद वे खुश दिखे कि नेत्रहीन बेटे ने उनकी आंखों को नई रोशनी से भर दिया है....Blind student Sohan Bhatt ....

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