'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' दया नायक की 2 दशक बाद मुंबई क्राइम ब्रांच में वापसी

Encounter specialist Daya Nayak transferred again to crime branch almost after 2 decades...

'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' दया नायक की 2 दशक बाद मुंबई क्राइम ब्रांच में वापसी

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस इंस्पेक्टर दया नायक को मुंबई क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया है। तीन साल तक राज्य एटीएस में काम करने वाले नायक अब अपराध शाखा के साथ काम करेंगे जो मुख्य रूप से गंभीर अपराधों और प्रमुख मामलों का पता लगाने का काम करती है।

मुंबई: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक की करीब दो दशक बाद मुंबई क्राइम ब्रांच में वापसी हुई है। उन्हें शनिवार को प्राइम यूनिट मानी जाने वाली बांद्रा क्राइम ब्रांच में पोस्टिंग मिली है। जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दहशत पीक पर थी, तब दया नायक अंधेरी सीआईयू में कार्यरत थे। वहां उन्होंने साल 1999 से 2003 के बीच काम किया। फिर उनकी कांदिवली पुलिस स्टेशन में पोस्टिंग हुई। बाद में उन्हें फिर से सीआईयू में वापस लिया गया। अब अंधेरी सीआईयू का वजूद खत्म हो चुका है। अब सिर्फ एक ही सीआईयू है, जो मुंबई पुलिस मुख्यालय में है। तीन साल पहले सचिन वाझे उसके प्रभारी थे। वाझे एंटीलिया जिलेटिन कांड और हिरेन मनसुख मर्डर की वजह से इन दिनों जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी हालांकि एनआईए ने की थी, लेकिन एनआईए को केस ट्रांसफर होने से पहले महाराष्ट्र एटीएस में जिन अधिकारियों ने इन दोनों केसों का इनवेस्टिगेशन किया था, उनमें दया नायक भी थे।

दया नायक ने 84 एनकाउंटर किए और अपने पुलिस करियर में हजार से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया। वह महाराष्ट्र एटीएस में भी करीब साढ़े तीन साल तक कार्यरत रहे। राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'अब तब 56 ' के प्रमुख किरदार को लेकर हमेशा विवाद रहा।

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प्रदीप शर्मा, जो दया नायक के कभी बॉस रहे, उनका कहना था कि फिल्म अब तक 56 का मुख्य किरदार उन पर केंद्रित था। जबकि दया नायक के करीबियों का दावा है कि इस फिल्म में प्रमुख किरदार की पृष्ठभूमि दया नायक के इर्द-गिर्द थी।

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दया नायक की क्राइम ब्रांच में वापसी को इस संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ और पुराने व अनुभवी अधिकारियों की मुंबई क्राइम ब्रांच में पोस्टिंग हो सकती है। सचिन वाझे की वजह से जब क्राइम ब्रांच बदनाम हुई थी, तब दो साल पहले लगभग पूरी क्राइम ब्रांच में बदलाव किया गया था और वहां कार्यरत अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया था।

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दया नायक के साथ भले ही अभी भी 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' जोड़ा जाता हो, लेकिन हकीकत यह है कि मुंबई में अब एनकाउंटर बंद हो चुके कई साल हो चुके हैं। मुंबई पुलिस द्वारा आखिरी एनकाउंटर 1 नवंबर, 2010 की भोर में चेंबूर में हुआ था, जिसमें डॉन अश्विन नाईक का कथित साथी मंगेश नारकर मारा गया था। इससे पहले 20 नवंबर, 2009 को इमरान हसन झिंगाडा और समीर खान बोरिवली में मुठभेड़ में मारे गए थे। मुंबई पुलिस के स्पेशल सीपी देवेन भारती उन दिनों मुंबई क्राइम ब्रांच में अडिशनल सीपी थे।

इमरान झिंगाडा की पृष्ठभूमि यह है कि उसके भाई मुन्ना झिंगाडा ने सितंबर, 2000 में बैंकॉक में छोटा राजन को टार्गेट करते हुए गोलियां चलाई थीं। मुंबई में पहला एनकाउंटर, 14 अक्टूबर, 1980 को हुआ था, जब मालाड में रॉबर लुइस फर्नाडिस पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था