मुंबई की अदालत ने कहा पॉक्सो मामले में 17 वर्षीय लड़के पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाएगा...

Mumbai court says 17-year-old boy to be tried as adult in POCSO case...

मुंबई की अदालत ने कहा पॉक्सो मामले में 17 वर्षीय लड़के पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाएगा...

17 वर्षीय लड़के पर सात साल की एक लड़की के साथ कई वयस्क आरोपियों के साथ बार-बार सामूहिक बलात्कार करने और 2020 में अपनी बहन को ऐसा करने की धमकी देने का आरोप है, जिसके बाद उस पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाएगा. मुंंबई की एक सत्र अदालत ने माना कि अपराध जघन्य था और वह अपराध के परिणामों और प्रकृति को समझने के लिए पर्याप्त परिपक्व था.

मुंबई : 17 वर्षीय लड़के पर सात साल की एक लड़की के साथ कई वयस्क आरोपियों के साथ बार-बार सामूहिक बलात्कार करने और 2020 में अपनी बहन को ऐसा करने की धमकी देने का आरोप है, जिसके बाद उस पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाएगा. मुंंबई की एक सत्र अदालत ने माना कि अपराध जघन्य था और वह अपराध के परिणामों और प्रकृति को समझने के लिए पर्याप्त परिपक्व था. अदालत ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट से पता चलता है कि सीसीएल आरोपों की गंभीर प्रकृति को समझता है और यह भी समझता है कि यह गलत है और कानून के खिलाफ है.

रिपोर्ट से पता चलता है कि अपराध करने के लिए मानसिक विकलांगता या मनोवैज्ञानिक नपुंसकता का कोई सबूत नहीं था. यदि 16 से 18 वर्ष के बीच के नाबालिग "जघन्य अपराध" करते हैं तो उन पर वयस्कों के रूप में मुकदमा चलाया जा सकता है. यदि किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष कार्यवाही की जाती है, तो सुधार गृह में अधिकतम जुर्माना तीन वर्ष है. 

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किशोर पर बालिग के रूप में मुकदमा चलाया जाना है या बच्चे के रूप में, यह तय करने के उद्देश्य से अदालत ने चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी चार्जशीट, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य रिपोर्ट और प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट को ध्यान में रखा. यह मामला किशोर न्याय बोर्ड, डोंगरी के प्रधान मजिस्ट्रेट द्वारा सत्र न्यायालय को रेफर किया गया था, यह देखते हुए कि नाबालिग के खिलाफ दर्ज अपराध प्रकृति में जघन्य है. अदालत ने कहा कि उसके पूरे बयान का निरीक्षण करने पर प्रतीत होता है कि इस नाबालिग व मुख्य आरोपी ने न केवल एक बार पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया बल्कि पीड़िता को धमकी भी दे रहे थे. 

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वे लोग पीड़िता को बुलाते थे. वे कहते थे कि अगर वह नहीं आएगी तो वे उसकी बहन के साथ भी ऐसा ही काम करेंगे. इसलिए, जब भी नाबालिग और अन्य आरोपी पीड़िता को बुलाते थे, वह जाती थी. कोर्ट ने कहा कि इस नाबालिग और अन्य आरोपियों के खिलाफ जबरन संभोग, अप्राकृतिक यौन संबंध, पीड़िता का अपमान करने के आरोप लगाए गए हैं. मामला इसी नाबालिग व अन्य आरोपियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म का है. अपराध की प्रकृति जघन्य है. इसलिए किशोर न्याय बोर्ड ने प्रारंभिक आकलन करने के बाद नाबालिग को ट्रायल के लिए इस कोर्ट में भेज दिया है.

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लड़के के वकील ने कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया कि उस पर एक बच्चे के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए. वकील ने प्रस्तुत किया कि प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार, उसके व्यवहार में बहुत प्रगति हुई है और वह विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहा था. बचाव पक्ष के वकील ने अपनी दलील में कहा कि उन्होंने परामर्श सत्र, प्रशिक्षण आदि लिया था. किशोर आगे की शिक्षा प्राप्त कर रहा है. उनके अनुसार, किशोर में प्रगति को ध्यान में रखते हुए, उन्हें 'बच्चे' के रूप में माना जाना चाहिए.

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