मुंबई में लापरवाह १५० बिल्डरों को नोटिस...

Notice to 150 negligent builders in Mumbai...

मुंबई में लापरवाह १५० बिल्डरों को नोटिस...

झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत मिलनेवाले गरीबों के घर किराए के करोड़ों रुपए खाकर बिल्डर बैठे हुए हैं। इन लापरवाह १५० बिल्डरों को पैसे भरने का नोटिस दिया गया है लेकिन नोटिस का कोई डर नहीं है। ७०४ करोड़ रुपए में से मात्र १८ बिल्डरों ने १८ करोड़ ४० लाख २६ हजार ४८० रुपए भरे हैं।

मुंबई : झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत मिलनेवाले गरीबों के घर किराए के करोड़ों रुपए खाकर बिल्डर बैठे हुए हैं। इन लापरवाह १५० बिल्डरों को पैसे भरने का नोटिस दिया गया है लेकिन नोटिस का कोई डर नहीं है। ७०४ करोड़ रुपए में से मात्र १८ बिल्डरों ने १८ करोड़ ४० लाख २६ हजार ४८० रुपए भरे हैं।

मतलब ६८५ करोड़ रुपए बिल्डर डकार कर बैठे हुए हैं। बिल्डरों की इस कारस्तानी के कारण आज गरीबों को न घर मिल रहा है और न ही उनको घर का किराया, जिसके चलते उनकी स्थित `न घर का, न घाट का’ जैसी हो गई है। ५० हजार से अधिक परिवार किराए के इंतजार में बैठे हैं। इन ५० हजार लोगों की तरफ `ईडी’ सरकार ध्यान नहीं दे रही है।

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार में घिरी एसआरए (झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना) में इन दिनों बिल्डरों के हौसले बुलंद हैं। गरीबों के झोपड़ों को इमारतों में तब्दील करने के नाम पर तोड़ दिया गया है। वर्षों से बिल्डरों ने घर का किराया देना बंद कर दिया है। जबकि करार के मुताबिक १२ से २० हजार रुपए प्रति महीने बिल्डरों को देना था।

कोरोना के बाद इन बेघरों की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। सरकार ने १५० बिल्डरों को कुछ दिनों पहले नोटिस जारी कर पैसे भरने का आदेश दिया था, जिसका बिल्डरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। केवल १८ बिल्डरों ने साढ़े अठारह करोड़ रुपए भरे हैं। शेष बिल्डरों पर कोई असर नहीं दिखाई देता।

तमाम हथकंडे अपनाने के बाद भी अधिकारी बिल्डरों से किराया वसूलने में नाकाम रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कई बिल्डरों के सीधे `ईडी’ सरकार में बैठे मंत्रियों से संबंध होने के नाते वे बेखौफ हैं। एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अब अधिकारी उनके सेल प्रोजेक्टों को स्थगिती देने जा रहे हैं। साथ ही उन्हें काली सूची में शामिल कर उनके प्रोजेक्ट को छीना जाएगा। 


बता दें कि बिल्डरों को झोपड़ा तोड़ने के बाद झोपड़ाधारकों को ट्रांजिट वैंâपों में नहीं जानेवालों को निर्धरित रकम प्रति महीने देने का एग्रीमेंट होता है। बावजूद बिल्डर घर किराया नहीं देते। बार-बार मोर्चा-आंदोलन के बाद भी त्रस्त झोपड़ाधारकों की हालत गंभीर है। इस पर प्रतिक्रिया लेने के लिए एसआरए मुख्य अधिकारी सतीश लोखंडे, सहायक निबंधक संध्या बावनकुले से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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