विरार-डहाणू रोड के बीच ८० फीसदी काम पूरा... डेडलाइन २०२५
80 percent work completed between Virar-Dahanu road... Deadline 2025
मुंबई, नई मुंबई के बाद पालघर जिले को तीसरी मुंबई के नाम से जाना जाता है। इस जिले में लगातार लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। ट्रेनों में बढ़ती भीड़ और असुविधा को देखते हुए पश्चिम रेलवे ने विरार-डहाणू के चौहरीकरण की योजना बनाई थी, जो अधर में लटकी है।
मुंबई : मुंबई, नई मुंबई के बाद पालघर जिले को तीसरी मुंबई के नाम से जाना जाता है। इस जिले में लगातार लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। ट्रेनों में बढ़ती भीड़ और असुविधा को देखते हुए पश्चिम रेलवे ने विरार-डहाणू के चौहरीकरण की योजना बनाई थी, जो अधर में लटकी है।
एमयूटीपी ३ का हिस्सा रहीं ये परियोजनाएं प्लानिंग स्टेज पर पांच वर्ष पहले तैयार हो गई लेकिन उन्हें साकार करने के लिए जमीन अधिग्रहण पूरा नहीं हुआ है। हालांकि रेलवे ने दावा किया है कि विरार-डहाणू रोड के बीच अन्य ८० फीसदी काम को पूरा कर लिया है। अब रेलवे इसे पूरा करने की नई डेडलाइन २०२५ रखी है।
गौरतलब है कि पश्चिम रेलवे का विरार-डहाणू रोड लाइन सबसे व्यस्त सेक्शन में आती है। फिलहाल यहां सिर्फ दो लाइन है। पश्चिम रेलवे की इस लाइन पर मेल-एक्सप्रेस गाड़ियां सहित मालगाड़ी भी अधिक चलती है। इस वजह से फिलहाल इस रूट पर लोकल ट्रेनें कम ही चलती हैं।
इस मार्ग पर उपनगरीय ट्रेनों की सेवाएं बढ़ाने और यात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने विरार-डहाणू रोड के बीच चौहरीकरण करने की योजना को मंजूरी दी थी।
रेलवे विकास निगम की एमयूटीपी ३ परियोजना के तहत तीन हजार ५७८ करोड़ रुपए की मंजूरी मिली थी लेकिन कोरोना महामारी के समय ये योजना अधर में लटक गई। इस पर जून २०२२ तक ४३१ करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
पश्चिम रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक चौहरीकरण के लिए ३० गांवों की जमीन को अधिग्रहण किया गया है। इसमें वसई तालुका से ६ गांव, पालघर तालुका से २० और डहाणू तालुका से ४ गांव का समावेश है। मुंबई रेलवे विकास कॉर्पोरेशन के पीआरओ सुनील उदासी के मुताबिक विरार से डहाणू रोड के बीच ६४ किमी की दूरी है।
दो नई लाइन बिछाने के लिए रेलवे को १८० हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। रेलवे ने करीब ८० फीसदी जमीन अधिग्रहण कर लिया है, जबकि अन्य २० फीसदी जमीन का काम प्रोसेस में है। पटरियों के विस्तार में २९.१४ हेक्टटेयर जमीन निजी है।
इसमें से २२.६०हेक्टेयर जमीन को अधिग्रहण कर लिया गया है, जबकि इसमें १०.२६ हेक्टेयर जमीन राज्य शासन की है। इसमें करीब ८.३२ हेक्टेयर जमीन रेलवे ने लिया है। इसके अलावा वन विभाग से करीब ३.७७ हेक्टेयर जमीन को लिया गया है।
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