सैफ अली खान को नवाब खानदान में पैदा होने के बावजूद तरसना पड़ता था छोटी चीज के लिए...

Despite being born in the Nawab family, Saif Ali Khan had to yearn for small things.

सैफ अली खान को नवाब खानदान में पैदा होने के बावजूद तरसना पड़ता था छोटी चीज के लिए...

सैफ अली खान का नाम जब भी जुबां पर आता है तो खुद-ब-खुद नवाबों वाली उनकी छवि सामने नजर आने लगती है. वह वास्‍तव में नवाबों वाली जिंदगी जी भी रहे हैं. उन्‍हें नवाब खान कहा भी जाता है. मगर क्‍या शुरुआत से ही उनकी परवरिश नवाबों जैसी हुई है, इस तरह के कई सवाल जेहन में आते हैं. इसका जवाब खुद सैफ दे चुके हैं. तो चलिए उनके जन्‍मदिन पर इस बारे में आपको बताते हैं. 

सैफ अली खान का नाम जब भी जुबां पर आता है तो खुद-ब-खुद नवाबों वाली उनकी छवि सामने नजर आने लगती है. वह वास्‍तव में नवाबों वाली जिंदगी जी भी रहे हैं. उन्‍हें नवाब खान कहा भी जाता है. मगर क्‍या शुरुआत से ही उनकी परवरिश नवाबों जैसी हुई है, इस तरह के कई सवाल जेहन में आते हैं. इसका जवाब खुद सैफ दे चुके हैं. तो चलिए उनके जन्‍मदिन पर इस बारे में आपको बताते हैं. 
अपने एक इंटरव्‍यू में सैफ ने खुलकर ‘नवाब’ टैग के बारे में बात की थी और बताया था कि उनकी परवरिश किस प्रकार एक सामान्‍य तरह से ही हुई थी. यह भी खुलासा किया था कि उनके पैरेंट्स उन्‍हें बमुश्किल ही पॉकेट मनी दिया करते थे. सैफ ने यह भी कहा था कि उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी पर एक बायोपिक भी बननी चाहिए, क्‍योंकि उनकी जिंदगी थोड़ी कुछ ज्‍यादा ही सिनेमाई रही है.

बता दें कि सैफ, स्‍वर्गीय क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और फिल्‍म इंडस्‍ट्री की सदाबहार अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के सबसे बड़े बच्‍चे हैं. उनकी दो छोटी बहनें ज्‍वैलरी डिजाइनर सबा अली खान और एक्‍ट्रेस सोहा अली खान हैं. साल 1971 तक मंसूर ने नवाब ऑफ पटौदी की उपाधि का इस्‍तेमाल किया था.

एशियन एज के साथ एक इंटरव्‍यू में सैफ ने कहा था कि नवाब खानदान में पैदा होने का निश्वित रूप से उनकी जिंदगी पर असर पड़ा, मगर पॉकेट मनी के मामले में आम बच्‍चों जैसा ही हाल रहा. उनके पैरेंट्स बमुश्किल पॉकेट मनी देते थे. बिल्‍कुल ‘ना’ के बराबर. यहां तक कि उनके पड़ोस के बच्‍चे को उनसे ज्‍यादा ही पॉकेट मनी मिल जाया करती थी.

नवाब टैग के बारे में बात करते हुए सैफ ने कहा था कि उनकी परवरिश सामान्‍य तरह से ही हुई थी. कोई नवाब नहीं हैं. यह फिल्‍मों में मिला टैग है. बकौल सैफ, ‘’मेरे पिता आखिरी नवाब थे और वह भी खुद को नवाब के तौर पर नहीं लेते थे.’’ सैफ के मुताबिक, उनकी नवाब की इमेज इसलिए नहीं है कि वह नवाब खानदान से हैं, बल्कि इसलिए है क्‍योंकि वह एक फिल्‍म स्‍टार की लाइफ को एंजॉय करते हैं. सैफ ने यह भी कहा कि अगर यह सच में भी होता तो भी यह उनके लिए मायने नहीं रखता.

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