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मुंबई : सोशल मीडिया अकाउंट पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करना पीछा करने और उसकी इज्जत को ठेस पहुंचाने जैसा - बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई : सोशल मीडिया अकाउंट पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करना पीछा करने और उसकी इज्जत को ठेस पहुंचाने जैसा - बॉम्बे हाई कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला सुनाया है कि किसी महिला के सोशल मीडिया अकाउंट पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करना पीछा करने और उसकी इज्जत को ठेस पहुंचाने जैसा है, जो दोनों ही गंभीर अपराध हैं। एक आदमी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने अपने खिलाफ पुलिस केस रद्द करने की मांग की थी। उसके खिलाफ दर्ज फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट इंडियन पीनल कोड की धारा 354 (किसी महिला पर उसकी इज्जत को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल) और 354D (पीछा करना) के तहत थी।
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मुंबई : एक साल से कर रहा था पीछा और फिर..', लोकल ट्रेन में नाबालिग को छेड़ने के आरोपी को तीन महीने की जेल

मुंबई : एक साल से कर रहा था पीछा और फिर..', लोकल ट्रेन में नाबालिग को छेड़ने के आरोपी को तीन महीने की जेल मुंबई की विशेष अदालत ने 27 वर्षीय पुरुष को लोकल ट्रेन में नाबालिग लड़की को बार-बार छूने के मामले में दोषी ठहराया। आरोपी को आईपीसी 354(D) और पॉक्सो अधिनियम के तहत तीन महीने की जेल हुई, जिसमें जांच के दौरान बिताई गई हिरासत की अवधि घटाई गई। मुंबई की एक विशेष अदालत ने 27 साल के एक पुरुष को लोकल ट्रेन में नाबालिग लड़की को यौन उत्पीड़न करने के मामले में तीन महीने की जेल की सजा सुनाई है।
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वसई : चार नाबालिग स्कूली छात्राओं का पीछा करने और उन्हें परेशान करने के आरोप में दो गिरफ्तार 

वसई : चार नाबालिग स्कूली छात्राओं का पीछा करने और उन्हें परेशान करने के आरोप में दो गिरफ्तार  वसई की मानिकपुर पुलिस ने चार नाबालिग स्कूली छात्राओं का पीछा करने और उन्हें परेशान करने के आरोप में दो युवकों को गिरफ्तार किया है। इन पर भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, घटना 10 सितंबर से 15 सितंबर के बीच हुई। 
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नाबालिग का पीछा यौन उत्पीड़न के बराबर... बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने नहीं दी युवक को राहत

नाबालिग का पीछा यौन उत्पीड़न के बराबर... बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने नहीं दी युवक को राहत  बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस सानप ने कहा कि नाबालिग की बेरुखी के बावजूद अपीलकर्ता ने स्कूल जाते समय उसका पीछा करना नहीं छोड़ा था। उसका आचरण और व्यवहार उसके इरादे को दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं। उसकी मंशा बिल्कुल अच्छी नहीं थी। पीड़िता का साक्ष्य यह साबित करने के लिए काफी है कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया है। पीड़िता ने बयान में अपीलकर्ता के व्यवहार और आचरण का स्पष्ट विवरण दिया है। इस तरह जस्टिस सानप ने अपील को खारिज कर दिया और युवक की सजा को कायम रखा।
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