दादर कबूतरखाना विवाद पर बड़ी खबर: जैन मुनि का अनशन 15 दिन के लिए रुका, क्या निकलेगा समाधान?
Big news on Dadar pigeon house controversy: Jain monk's fast halted for 15 days, will there be a solution?
शीर्षक: मुंबई: दादर कबूतरखाना को फिर से खोलने की मांग, जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय का अनिश्चितकालीन अनशन 15 दिनों के लिए स्थगित
rokthoklekhani.com
मुंबई : मुंबई के दादर (Dadar) में स्थित ऐतिहासिक कबूतरखाना को बंद करने के बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के फैसले के खिलाफ चल रहा बड़ा विरोध प्रदर्शन फिलहाल 15 दिनों के लिए टाल दिया गया है। जैन धर्मगुरु मुनि नीलेशचंद्र विजय (Jain Muni Nileshchandra Vijay) ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को सरकारी प्रतिनिधियों से ठोस आश्वासन मिलने के बाद स्थगित करने का फैसला किया है।
विरोध का कारण: आस्था बनाम स्वास्थ्य
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश और आम नागरिकों के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को देखते हुए बीएमसी ने दादर सहित कई स्थानों पर कबूतरों को दाना खिलाने वाले स्थानों (Kabutarkhanas) को बंद कर दिया। निवासियों ने कबूतरों के अत्यधिक जमावड़े और उनके मल से फैलने वाली श्वसन संबंधी बीमारियों (respiratory ailments) को लेकर चिंता जताई थी।
हालांकि, जैन समुदाय (Jain Community) इसे अपनी धार्मिक आस्था और अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ मानता है। मुनि नीलेशचंद्र विजय का तर्क है कि दादर का कबूतरखाना 100 साल से अधिक पुराना है और यह केवल एक जगह नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र है। उन्होंने बीएमसी द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक स्थानों को भी अव्यावहारिक बताया था।
आजाद मैदान में शुरू हुआ था आमरण अनशन
इस संवेदनशील मुद्दे पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए मुनि नीलेशचंद्र विजय ने मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन (Indefinite Hunger Strike) शुरू कर दिया था। इस विरोध प्रदर्शन ने न सिर्फ मुंबई, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में जैन समुदाय के बीच एक व्यापक हलचल पैदा कर दी थी।
15 दिन का मिला समय, समाधान की उम्मीद
मंगलवार को सरकारी अधिकारियों और मुनि नीलेशचंद्र विजय के बीच कई दौर की बातचीत हुई। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने मुनि को आश्वासन दिया है कि अगले 15 दिनों के भीतर इस जटिल मुद्दे पर एक स्वीकार्य और स्थायी समाधान (acceptable solution) खोजने की दिशा में गंभीरता से काम किया जाएगा। इसी भरोसे पर, मुनि ने अस्थायी रूप से अपना अनशन समाप्त कर दिया है।
यदि 15 दिनों की अवधि में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता है या कोई हल नहीं निकलता है, तो जैन मुनि ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना आंदोलन और भी बड़े स्तर पर दोबारा शुरू करेंगे। अब देखना यह है कि राज्य सरकार आस्था और जन स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाते हुए क्या रास्ता निकालती है।

