नई दिल्ली ; राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए जानबूझकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई - केंद्र सरकार

New Delhi; No time limit has been deliberately set for the President and Governor - Central Government

नई दिल्ली ; राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए जानबूझकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई - केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में प्रेशीडेंशियल रिफरेंस का समर्थन करते हुए उसमें उठाए गए संवैधानिक मुद्दों पर पक्ष रखा। केंद्र सरकार ने कहा कि संविधान में विधेयक पर निर्णय लेने के संबंध में राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए जानबूझकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।

नई दिल्ली ; केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में प्रेशीडेंशियल रिफरेंस का समर्थन करते हुए उसमें उठाए गए संवैधानिक मुद्दों पर पक्ष रखा। केंद्र सरकार ने कहा कि संविधान में विधेयक पर निर्णय लेने के संबंध में राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए जानबूझकर कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। केंद्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता की बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।
इससे पहले केरल और तमिलनाडु सरकार की ओर से सुनवाई पर आपत्ति जताई गई और कहा गया कि कोर्ट पहले ही जो फैसला दे चुका है उस पर रेफरेंस का कोई अर्थ नहीं। लेकिन मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने रेफरेंस भेजकर राय मांगी है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। विधि अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में प्रेसिडेंशियल रिफरेंस पर शरू हुई सुनवाई में अपना पक्ष रख रहे थे।

 

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राष्ट्रपति को समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता
चीफ जस्टिस बीआर गवई की टिप्पणी थी कि संविधान सभा की बहस को देखने से लगता है कि एक तर्कसंगत समय की बात की गई है यहां तक कि कुछ सदस्यों को तो छह सप्ताह का समय भी ज्यादा लग रहा था। लेकिन मेहता ने कहा कि संविधान निर्माताओं का सोचना था कि राष्ट्रपति को समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता। जबकि यहां मुद्दा ये है कि हमने इसे तीन महीने कर दिया है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह तमिलनाडु के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं वे संविधान सभा में हुई बहस पर कह रहे हैं। मेहता की बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।

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केरल और तमिलनाडु ने दायर की याचिका
केरल और तमिलनाडु की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी और केके वेणुगोपाल का मानना था कि सुप्रीम कोर्ट के लिए रिफरेंस का जवाब देना जरूरी नहीं है। जो मुद्दे किसी जजमेंट में तय हो चुके हैं उन पर रिफरेंस में जवाब नहीं दिया जाता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अनुच्छेद 141 के तहत सभी पर बाध्यकारी होता है।

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संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह से काम करते हैं ऐसे में ये रिफरेंस केंद्र का है। केंद्र ने उस फैसले के खिलाफ न पुनर्विचार और न ही क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है बल्कि रिफरेंस दाखिल करके जजमेंट को परोक्ष रूप से चुनौती दी है।

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