कल्याण : कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी को बरी किया; मां कोर्ट में हो गई बेहोश
Kalyan: Court acquits accused in a rape case; mother faints in court
मुंबई से सटे कल्याण में कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में जब आरोपी को बरी किया तो उसकी मां कोर्ट में बेहोश हो गई। युवक पर 6 साल की बच्ची से बलात्कार करने का आरोप लगा था। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उसे बरी किया, तो मां कोर्ट में बेहोश हो गई। इसके बाद यह पूरी घटना सुर्खियों में आ गई। घटना के वक्त आरोपी युवक के परिजनों ने कहा था कि वह निर्दोष है लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हु पुलिस ने उसे अरेस्ट किया था। इसके बाद उसे अलग-अलग परिस्थितियों के चलते छह साल जेल में काटने पड़े। कोर्ट ने जब फैसला सुनाय तो मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
कल्याण : मुंबई से सटे कल्याण में कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में जब आरोपी को बरी किया तो उसकी मां कोर्ट में बेहोश हो गई। युवक पर 6 साल की बच्ची से बलात्कार करने का आरोप लगा था। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उसे बरी किया, तो मां कोर्ट में बेहोश हो गई। इसके बाद यह पूरी घटना सुर्खियों में आ गई। घटना के वक्त आरोपी युवक के परिजनों ने कहा था कि वह निर्दोष है लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हु पुलिस ने उसे अरेस्ट किया था। इसके बाद उसे अलग-अलग परिस्थितियों के चलते छह साल जेल में काटने पड़े। कोर्ट ने जब फैसला सुनाय तो मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
2020 में लगा था दुष्कर्म का आरोप
जानकारी के अनुसार जनवरी 2020 में कल्याण पश्चिम के वालधुनी इलाके की एक महिला ने आरोप लगाया कि पड़ोस में रहने वाले अल्ताफ खान ने अपने घर में बुलाकर उसकी लगभग 6 साल की बेटी के साथ बलात्कार किया है। इसके बाद महात्मा फुले पुलिस ने इस मामले में मामला दर्ज किया था। पुलिस ने घटना के बाद आरोपी अल्ताफ खान को गिरफ्तार कर लिया गया। अल्ताफ के परिवार ने तब भी कहा था कि वह निर्दोष है। उसने कुछ नहीं किया है। जिस दिन का घटना का जिक्र शिकायत में है, हम सब घर पर थे। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी। एक ओर जांच चल रही थी तभी कोविड शुरू हो गया। इसके बाद कल्याण जिला सत्र न्यायालय ने उसकी जमानत अर्जी 2 बार खारिज कर दी। परिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा। हाईकोर्ट ने भी उसकी जमानत अर्जी 2 बार खारिज की।
हिंदू वकील ने लड़ा केस
अल्ताफ नाम के आरोपी की दुष्कर्म के मामले में एक हिंदू वकील ने पैरवी की। जब यह मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में गया तो वकील गणेश घोलप ने अदालत में अल्ताफ की ओर से बहस की। अल्ताफ के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। ऐसे में उसे बरी कर दिया गया। कोर्ट से बरी होने के बाद लभगभग 6 साल बाद अल्ताफ को जेल से बाहर आने को मिला है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले के बाद अल्ताफ ने कहा कि अब मैं अपना अगला जीवन जी पाऊंगा। खास बात यह है कि अदालत ने अल्ताफ को बरी करने का जब फैसला सुनाया, उसकी मां कोर्ट में ही मौजूद थी। जज का फैसला सुनते ही वह बेहोश हो गई। इसके बाद कोर्ट परिवार में थोड़ा अफरा-तफरी मच गई। मां को तुरंत चिकित्सीय मदद दी गई।

