मुंबई के कई मनपा अस्पतालों में ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों का रिन्यूअल लटका; सेवाएं बाधित
Renewal of contractual employees in many municipal hospitals of Mumbai is pending; services disrupted
मुंबई के कई मनपा अस्पतालों में ठेके पर कार्यरत फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन, सामुदायिक विकास अधिकारी और अन्य तकनीकी कर्मचारियों का रिन्यूअल लटका हुआ है। इस वजह से अस्पतालों में रोगी सेवाएं बाधित हो गई हैं। इससे मरीजों की फजीहत हो रही है। साथ ही उन्हें अब अधिकांश टेस्ट बाहर से कराने पड़ रहे हैं।
मुंबई : मुंबई के कई मनपा अस्पतालों में ठेके पर कार्यरत फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन, सामुदायिक विकास अधिकारी और अन्य तकनीकी कर्मचारियों का रिन्यूअल लटका हुआ है। इस वजह से अस्पतालों में रोगी सेवाएं बाधित हो गई हैं। इससे मरीजों की फजीहत हो रही है। साथ ही उन्हें अब अधिकांश टेस्ट बाहर से कराने पड़ रहे हैं। हालांकि, मनपा ने इस पर चुप्पी साध रखी है।
उल्लेखनीय है कि ठेके पर कार्यरत कर्मियों का नवीनीकरण न होने से इसका सबसे ज्यादा असर बांद्रा के भाभा अस्पताल पर पड़ रहा है। इस अस्पताल के फार्मेसी में अब चार ठेका कर्मचारियों ने आना बंद कर दिया है। ऐसे में अब दो के कंधों पर फार्मेसी की जिम्मेदारी आ गई है, जो सुबह आठ से चार बजे तक सेवा दे रहे हैं। इससे यहां रोजाना आनेवाले करीब १,००० मरीजों को दवाइयां देने में दोनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह सांताक्रूज के वीएन देसाई अस्पताल की भी स्थिति मिलता-जुलता दिखाई दे रहा है। यहां ठेके पर कार्यरत १० में से एक्सरे के दो और फार्मेसी के एक तकनीशियन ने काम पर आना बंद कर दिया है। इस अस्पताल में पिछले कुछ महीनों से कई ठेका कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है। उनका ठेका भी नहीं बढ़ाया गया है।
पूर्व उपनगर में स्थित एक अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि ओपीडी में टीबी रोगियों का इलाज करने वाले एक डॉक्टर ने ठेका नवीनीकरण न होने के कारण कुछ सप्ताह पहले से आना बंद कर दिया, जिसका सीधा असर यहां टीबी का इलाज कराने के लिए पहुंच रहे १५ से २० रोगियों पर पड़ा है। मेडिकल रिकॉर्ड विभाग में किसी समय २० से अधिक कर्मचारी थे, लेकिन अब वहां केवल सात से आठ ठेका कर्मचारी ही बचे हैं। अधिकारी ने कहा कि सामुदायिक विकास अधिकारी का पद महीनों से खाली है।

