पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं पालघर जिले के आदिवासी मछुआरे
Tribal fishermen of Palghar district are lodged in Pakistani jails
पालघर जिले के मछुआरे मुसीबत में हैं लेकिन केंद्र की सरकार उनकी पुकार नहीं सुन रही है। जिले के कई मछुआरे पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं। उनके बच्चे अपनी मांओं से हमेशा एक ही सवाल पूछते रहते हैं कि ‘मां, पापा कब आएंगे?’ लेकिन उन मांओं के पास कोई जवाब नहीं है। मछुआरों के परिजन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आस लगाए बैठे हैं, जो पूरी नहीं हो पा रही है।
पालघर : पालघर जिले के मछुआरे मुसीबत में हैं लेकिन केंद्र की सरकार उनकी पुकार नहीं सुन रही है। जिले के कई मछुआरे पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं। उनके बच्चे अपनी मांओं से हमेशा एक ही सवाल पूछते रहते हैं कि ‘मां, पापा कब आएंगे?’ लेकिन उन मांओं के पास कोई जवाब नहीं है। मछुआरों के परिजन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आस लगाए बैठे हैं, जो पूरी नहीं हो पा रही है।
जिले की नीलम तीन साल की बच्ची को अपनी गोद में लिए बैठी है। जब वो गर्भवती थी, उन्हीं दिनों नीलम के पति रघु दिवा मछली पकड़ते हुए पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए और वहां की नौसेना ने उन्हें साथियों समेत पकड़ लिया। नीलम बताती हैं कि उनकी बच्ची तीन साल की हो गई है लेकिन अपने पिता का चेहरा वो अब तक नहीं देख पाई है। न जाने वो किस हाल में हैं? नीलम जैसी न जाने कितनी महिलाएं हैं, जिनके पति आज भी पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं और उनके इंतजार का अंत नहीं हो रहा है।
गुजरात राज्य के ओखा से मत्स्यगंधा और एक अन्य नाव सितंबर २०२२ को हमेशा की तरह मछली पकड़ने के लिए समुद्र में गई। नाव समुंदर में छोड़े गए जालों को ले जा रही थी, तभी अचानक पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी की स्पीड बोट ने भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को घेर लिया और उन नावों में सवार नौ लोगों को पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया। इनमें से सात आदिवासी मछुआरे पालघर जिले के डहाणू तालुका के हैं।
पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारों को जब ये जानकारी मिली तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा क्योंकि उनके ऊपर ही परिवारों की जिम्मेदारी थी। एक लंबे इंतजार के बाद भी मछुआरों की घर वापसी न होने पर सभी पीड़ित परिवार सदमे में हैं। घर और बच्चों का खर्च कैसे चलाया जाए जैसे कई सवाल उनके सामने मुंह फैलाए खड़े हैं।
नवश्या महाद्या भिमरा (३१, निवासी राऊतपाड़ा), सरीत सोन्या उंबरसाड़ा (निवासी, राऊतपाड़ा), कृष्णा रामज बुजड (१८, निवासी, राऊतपाड़ा), विजय मोहन नगवासी (३०, निवासी, गोरातपाड़ा) विनोद लक्ष्मण कोल (५३, निवासी खुनवडे-गोरातपाड़ा) अस्वाली गांव के रहनेवाले हैं। इसी तरह जयराम जान्या सालकर (३५, निवासी भिनारी, रायातपाड़ा), उद्धया रमण पाडवी (२५, निवासी, सोगवे डोंगरीपाड़ा) पाकिस्तानी जेलों में बंद मछुआरों के नाम हैं।
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