मुंबई : वरळी, प्रभादेवी, कुर्ला और भायखला में 'तंदूर' का सबसे ज्यादा उपयोग... होटल मालिकों को पीएनजी अथवा इलेक्ट्रिक का विकल्प अपनाने का निर्देश
Mumbai: 'Tandoor' is used the most in Worli, Prabhadevi, Kurla and Byculla... Hotel owners instructed to opt for PNG or electric
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मनपा ने मुंबई में लकड़ी और कोयला जलाकर चलाई जा रही 269 बेकरियों को नोटिस भेज कर उन्हें बंद करने की चेतावनी दी थी। मुंबई की हवाओं में हो रहा बदलाव एक बड़ी समस्या बन चुका है। पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले कारकों पर कार्रवाई करने में मनपा की दिलाई को देखते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने लगाम कसनी शुरु की। उसके बाद मनपा का पर्यावरण विभाग सक्रिय होकर प्रदूषण फैलाने वाली बेकरियों, होटलों और निर्माण स्थलों पर तेजी से कार्रवाई करना शुरु किया है।
मुंबई : फैलते वायु प्रदूषण को देखते हुए लकड़ी और कोयले को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले होटल, बेकरी और अन्य खाद्य व्यवसायों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उच्च न्यायालय के आदेश पर मनपा पर्यावरण विभाग ने 414 होटलों को नोटिस जारी कर स्वच्छ ईंधन, जैसे इलेक्ट्रिक या पीएनजी स्टोव, का उपयोग करने का निर्देश दिया है। इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर संबंधित होटलों को बंद करने की चेतावनी दी गई है।
इसके पहले मनपा ने मुंबई में लकड़ी और कोयला जलाकर चलाई जा रही 269 बेकरियों को नोटिस भेज कर उन्हें बंद करने की चेतावनी दी थी। मुंबई की हवाओं में हो रहा बदलाव एक बड़ी समस्या बन चुका है। पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले कारकों पर कार्रवाई करने में मनपा की दिलाई को देखते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने लगाम कसनी शुरु की। उसके बाद मनपा का पर्यावरण विभाग सक्रिय होकर प्रदूषण फैलाने वाली बेकरियों, होटलों और निर्माण स्थलों पर तेजी से कार्रवाई करना शुरु किया है।
कोर्ट के निर्देश पर मनपा ने पहले बेकरी में लकड़ी के उपयोग पर उपयोग को रोक लगाने का निर्देश दिया गया। मनपा अब होटल मालिकों पर निशाना साधा है। तंदूर का उपयोग करने वाले होटल को नोटिस भेजकर पीएनजी अथवा इलेक्ट्रिक का विकल्प अपनाने की सूचना दी जा रही है। सबसे अधिक 'तंदूर' का उपयोग भायखला, कुर्ला, वरळी, प्रभादेवी और महालक्ष्मी क्षेत्रों के होटलों में पाया गया है।
इन होटलों में कई बार निम्न गुणवत्ता की लकड़ी, कोयला और यहां तक कि पुराने फर्नीचर के टुकड़े जलाए जाते हैं, जिससे खतरनाक गैसें निकलती हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। धूल के अलावा, वायु में अन्य हानिकारक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं।