रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर सचिवालय पहुंचीं और कार्यभार संभाला
Rekha Gupta reached the Secretariat as the Chief Minister of Delhi and took charge
बीजेपी की रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर पद की शपथ ले ली है. पद की शपथ लेते ही वह एक्शन मोड में आ गई हैं. आज ही दिल्ली कैबिनेट की पहली मीटिंग भी होगी. रेखा गुप्ता दोपहर तीन बजे दिल्ली सचिवालय पहुंचीं और उन्होंने कार्यभार संभाला, इसके बाद वह शाम पांच बजे यमुना बाजार के वासुदेव घाट का दौरा करने वाली हैं, यहां वह यमुना आरती भी करेंगी. इसके बाद शाम सात बजे दिल्ली सचिवालय में कैबिनेट की पहली मीटिंग होगी. दिल्ली कैबिनेट के नए मंत्री सबसे पहले यमुना का दौरा करेंगे और फिर उसके कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लेंगे. यमुना की सफाई, बीजेपी के मेनिफेस्टों में सबसे अहम रहा है और इस बार यमुना की गंदगी बड़े पैमाने पर चुनावी मुद्दा भी बनी थी.
नई दिल्ली। बीजेपी की रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर पद की शपथ ले ली है. पद की शपथ लेते ही वह एक्शन मोड में आ गई हैं. आज ही दिल्ली कैबिनेट की पहली मीटिंग भी होगी. रेखा गुप्ता दोपहर तीन बजे दिल्ली सचिवालय पहुंचीं और उन्होंने कार्यभार संभाला, इसके बाद वह शाम पांच बजे यमुना बाजार के वासुदेव घाट का दौरा करने वाली हैं, यहां वह यमुना आरती भी करेंगी. इसके बाद शाम सात बजे दिल्ली सचिवालय में कैबिनेट की पहली मीटिंग होगी. दिल्ली कैबिनेट के नए मंत्री सबसे पहले यमुना का दौरा करेंगे और फिर उसके कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लेंगे. यमुना की सफाई, बीजेपी के मेनिफेस्टों में सबसे अहम रहा है और इस बार यमुना की गंदगी बड़े पैमाने पर चुनावी मुद्दा भी बनी थी.
हालांकि दिल्ली में यमुना का इतिहास हमेशा से ऐसा गंदला नहीं रहा है. यहां का पानी अंग्रेजों के दौर में भी पीने और नहाने लायक था, बल्कि मुगल सल्तनत के दौर में तो यमुना ने चारदीवारी दिल्ली की न सिर्फ रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया था, बल्कि शाहजहां के बसाए शाहजहांनाबाद शहर और लालकिले की किलेबंदी के साथ इस प्रमुख शहर की प्यास भी बुझाई थी. इतिहास के इस हिस्से को पर्यावरण और जल मुद्दे पर काम करने वाले अनिल अग्रवाल और सुनीता नारायण ने अपनी किताब (बूंदों की संस्कृति) में दर्ज किया है. किताब बताती है कि, शाहजहां ने लाल किला बनाने के साथ शाहजहानाबाद शहर की भी नींव रखी थी. तब उन्होंने एक आर्किटेक्ट, अली मर्दन खां को खासतौर पर सिर्फ इस काम के लिए लगाया कि वह यमुना का पानी शहर से होते हुए किले तक पहुंचाए.
अली मर्दन खां ने यमुना को नहर के जरिए महल के अंदर तक पहुंचाया, इस नहर का नाम अली मर्दन ही रखा गया, जिसे फैज नहर के नाम से भी जानते थे. इसके साथ ही अली मर्दन ने तुगलक की बनवाई नहर की भी मरम्मत कराई थी. यह नहर अभी दिल्ली की सीमा पर स्थित नजफगढ़ के पास है. दिल्ली शहर में प्रवेश करने के पहले अली मर्दन नहर 20 किमी. इलाके के बगीचों को सींचती थी. इस नहर पर चद्दरवाला पुल, पुलबंगश और भोलू शाह पुल जैसे अनेक छोटे-छोटे पुल बने हुए थे. नहर भोलू शाह पुल के पास शहर में प्रवेश करती थी और तीन हिस्सों में बंट जाती थी. यहां से ये जलराशि ओखला, मौजूदा कुतुब रोड और निजामुद्दीन इलाके में जलापूर्ति करती थी. इस शाखा को इतिहास में सितारे वाली नहर का नाम मिला था.
दूसरी शाखा चांदनी चौक तक आती थी. लाल किले के पास पहुंचकर यह दाहिने मुड़कर फैज बाजार होते हुए दिल्ली गेट के आगे जाकर यमुना नदी में गिरती थी. इसकी एक और उपशाखा पुरानी दिल्ली गेट के आगे जाकर यमुना नदी में गिरती थी. एक उपशाखा पुरानी दिल्ली स्टेशन रोड वाली सीध में चलकर लाल किले के अंदर प्रवेश करती थी. नहर का पानी किले के भीतर बने कई हौजों को भरता था और किले को ठंडा रखता था इस नहर को चांदनी चौक में नहर-ए-फैज और महल के अंदर नहर-ए-बहिश्त कहा जाता था. हालांकि चांदनी चौक की नहर 1740 से 1820 के बीच यह कई बार सूखी थी, पर इसे बीच-बीच में ठीक कराया गया.

