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बजट में सेवा कर ५ फीसदी करने की मांग...
Demand to increase service tax to 5% in the budget...
कोरोना महामारी के बावजूद एक तरफ जहां हिंदुस्थान में स्वास्थ्य बीमा कराने वालों की संख्या बहुत कम है, वहीं बीमा पर १८ फीसदी जीएसटी दर लागू होने से बीमाधारकों को तिल-तिल काट रहा है। जीएसटी की राशि बढ़ने से बीमा भी आम जनता की पहुंच से दूर हो रहा है।
मुंबई : कोरोना महामारी के बावजूद एक तरफ जहां हिंदुस्थान में स्वास्थ्य बीमा कराने वालों की संख्या बहुत कम है, वहीं बीमा पर १८ फीसदी जीएसटी दर लागू होने से बीमाधारकों को तिल-तिल काट रहा है। जीएसटी की राशि बढ़ने से बीमा भी आम जनता की पहुंच से दूर हो रहा है। बीमा की राशि को कम करने के लिए सेवा कर को १८ फीसदी से घटाकर ५ फीसदी किए जाने की मांग हो रही है। बीमा क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि बीमाधारकों को टैक्स में छूट दिया जाना चाहिए।
जरूरतों के क्रम में स्वास्थ्य की रक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और बढ़ती महामारी के कारण स्वास्थ्य बीमा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। स्वास्थ्य बीमा एक आवश्यक वस्तु है और इसे ५ फीसदी जीएसटी टैक्स स्लैब में रखने की आवश्यकता है, ताकि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को और अधिक किफायती बनाया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी ५ फीसदी करने से अधिक लोग स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसमें छूट दी जानी चाहिए।
आयकर अधिनियम की धारा ८०डी में कर कटौती की सीमा में वृद्धि से स्वास्थ्य बीमा के प्रसार में और मदद मिल सकती है। धारा ८०डी के तहत एक व्यक्ति अपने और परिवार के लिए २५,००० रुपए तक की कटौती का दावा कर सकता है। इस सीमा को बढ़ाकर १,५०,००० रुपए किया जाना चाहिए। बढ़ती चिकित्सा लागत और गंभीर बीमारियों की घटनाओं में वृद्धि मध्यम आय और निम्न-आय समूहों के लिए एक असहनीय खर्च बनाती है इसलिए स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लिए उच्च कर कटौती सीमा की आवश्यकता है।
भारत में बीमा की कम पैठ और सुरक्षा जाल के तहत आबादी के व्यापक सरगम को लाने की आवश्यकता को देखते हुए, छोटे टिकट आकार के बीमा उत्पाद जैसे सूक्ष्म बीमा, पाउच उत्पाद आदि को जीएसटी से छूट दी जा सकती है। यह इन उत्पादों को सस्ता बनाकर उन्हें अतिरिक्त बढ़ावा देगा, जिससे लोग कम लागत वाले बीमा उत्पादों के संपर्क में आ सकेंगे और उनके मूल्य की बेहतर सराहना कर सकेंगे।
बीमाकर्ताओं के पेंशन अथवा वार्षिक आय को कर-मुक्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा मूल घटक के लिए कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर हमारे पास ५०,०००-७५,००० रुपए की सीमा में पेंशन के लिए एक अलग बकेट हो सकता है।
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