क्या जंक्शन बॉक्स में हुई छेड़खानी? रेलवे लागू करने जा रही है डबल लॉकिंग सिस्टम

Coromandel Train Accident: Was the Junction Box Tampered with? Now Railways is going to implement double locking system...

 क्या जंक्शन बॉक्स में हुई छेड़खानी? रेलवे लागू करने जा रही है डबल लॉकिंग सिस्टम

कोरोमंडल रेल हादसे के बाद सवाल अभेद्य किला माने जाने वाले सिस्टम पर भी उठा. सीबीआई को जांच सौंपी गई है. रेलवे अब तैयारी कर रहा है इसको और मजबूती और सुरक्षित करने की.

कोरोमंडल रेल हादसा तो कभी भुलाया नहीं जा सकता. इस भीषण दुर्घटना में जिन लोगों की मौत हुई वो भी कभी वापस नहीं आएंगे. फिलहाल वक्त के साथ इंसान को आगे बढ़ना पड़ता है. इसको मजबूरी समझिए या जिम्मेदारी. घटनास्थल पर युद्धस्तर पर काम हुआ. ट्रेनों का आवागमन फिर से शुरू हो गया है. जिन पटरियों में इतना बड़ा हादसा हुआ उन्हीं पटरियों में वंदे भारत, लोडेड माल गाड़ी, कोरोमंडल को दोबारा दौड़ाया गया....Railways is going to implement double locking system...

रफ्तार तो कम थी मगर हौसले और उम्मीद सातवें आसमान पर थे. NDRF, SDRF, राज्य प्रशासन, केंद्रीय प्रशासन, रेल मंत्री, रेलवे कर्मचारी, रेस्क्यू टीमें, स्थानीय लोग सभी ने मिलकर लोगों की जान बचाई. मगर कुछ सवाल हैं जो अभी तक अनसुलझे हैं. सवाल ये है कि आखिर 100 फीसदी सुरक्षित तकनीकि के बावजूद इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ. CBI सवालों को तलाशने में जुटी हुई है.

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इस कांड में सबके दिमाग में एक सवाल बार-बार कौंध रहा है. आखिरकार कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन से लूप लाइन में कैसे गई. फिलहाल कई जांचें जारी हैं. इस बीच जानकारी आ रही है कि अब लोकेशन बॉक्स को डबल लॉकिंग सिस्टम से सेफ किया जाएगा. अभी तक सिर्फ रिले रूम पर ही डबल लॉक सिस्टम होता है. लेकिन हादसे के बाद रेलवे लोकेशन बॉक्स पर भी डबल लॉक सिस्टम लगाने जा रहा है. अब आप सोच रहे होंगे कि लोकेशन बॉक्स क्या होता है? आपने कभी न कभी रेल पर सफर तो किया ही होगा. पटरियों के किनारे सिल्वर कलर का एक बड़ा सा बॉक्स होता है. जिसे हम लोकेशन बॉक्स कहते हैं. अगर आसान भाषा में समझें तो इसका उपयोग सिग्नलिंग के लिए ही होता है. ये हर तीन से पांच किलोमीटर के बीच लगाए जाते हैं....Railways is going to implement double locking system...

हादसे की जांच सीबीआई को सौंपी गई है. वो लगातार पूछताछ कर रही है. कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी भी जांच कर रही है. भारत के रेलवे नेटवर्क को दुनिया में सबसे बेहतरीन रेलवे नेटवर्क माना जाता है. यहां की सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग सिस्टम को अभेद्य जैसे शब्दों से नवाजा जाता है. फिर भी कैसे चूक हो गई. क्या लोकेशन बॉक्स पर कोई छेड़छाड़ की गई? आखिर ट्रेन लूप लाइन पर कैसे पहुंची. ये सवाल बेहद हैरान कर रहा है. स्टेशनों पर मौजूद रिले रूम सबसे अहम होता है. इसमें सिग्नलिंग से लेकर पूरा ट्रैफिक कंट्रोल होता है. इसमें दो चाबियां होती हैं. एक चाबी स्टेशन मास्टर के पास होती है और दूसरी सिग्नल मेंटनर के पास. इसके अलावा इसे कोई और नहीं खोल सकता....Railways is going to implement double locking system......

लेकिन लोकेशन बॉक्स पर सिंगल लॉक होता है. इसकी चाबी सिग्नल मेंटेनर के पास ही होती है. कोरोमंडल एक्सप्रेस आखिर ग्रीन सिग्नल के बाद ट्रेन कैसे मेन लाइन से लूप लाइन पर एंट्री कर गई. इसके क्या संकेत हो सकते हैं? अब डबल लॉक सिस्टम से बॉक्सों को सुरक्षित करने की बात सामने आ रही है. लोकेशन बॉक्स ट्रेन की गति से लेकर पूरी ट्रेन ट्रैक से गुजरी या नहीं इसकी भी जानकारी अपने अगले बॉक्स को भेजता है. यानी कि इसका काम सिग्नल से अलग भी होता है. इस बॉक्स में एक मशीन होती है जो ये भी बताती है कि पूरी ट्रेन उसके सामने से गुजरी या नहीं. मान लीजिए 20 कोच की एक ट्रेन है. उसके 17 कोच तो निकल पल पर किसी कारणवश तीन डिब्बे वहीं रह गए. पीछे से अगर दूसरी ट्रेन आएगी तो हादसा हो सकता है.

लोकेशन बॉक्स एक जंक्शन की तरह होता है. यहां पर पॉइंट (यह पटरी पर वो जगह होती है जहां से ट्रेन अपना ट्रैक चेंज करती है. यानी मेन लाइन से लूप लाइन पर जाती है). दूसरा है सिग्नलिंग लाइट्स. ये ट्रैक से कनेक्ट रहता है. ये बहुत अहम भाग होता है. इसी में अब डबल लॉकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा. यानी बिना दो चाबियों के ये ओपन ही नहीं होगा. इसमें एक समस्या भी है. समस्या ये है कि स्टेशन मास्टर का काम तो रेल के संचालन का है. जंक्शन बॉक्स हर 5 किलोमीटर पर होते हैं. वो कितनी सारी चाबियां अपने पास रखेगा.

अगर काम पड़ गया तो स्टेशन मास्टर कैसे इनती दूर कम वक्त पर पहुंचेगा. अगर वो बॉक्स को खोलने गया तो उतनी देर ट्रेन का संचालन कौन करेगा. मिनिस्ट्री के सूत्र ने बताया है कि टेक्नॉलिजी के युग मे टू स्टेप वेरिफिकिशन के जैसे ही टू-स्टेप ऑथेंटिकेशन के साथ इलेक्ट्रॉनिक लॉकिंग सिस्टम संभव है. इसके लिए फिजकली चाबी की कोई आवश्यकता नहीं होती. मंगलवार को रेल मंत्री ओडिशा से लौटे. उन्होंने रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत और अभेद्य बनाने के लिए अधिकारियों के साथ बातचीत की. इस हादसे में 288 लोगों की जान चली गई है.

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