
मुंबई की झुग्गी में मुफलिसी और मुसीबत के बीच की पढ़ाई, मोहम्मद हुसैन अब बनेंगे IAS अधिकारी
Studying in the slums of Mumbai between poverty and trouble, Mohammad Hussain will now become an IAS officer...
जहां छह वहां राह, यह बात मुंबई के वाड़ी बंदर की झोपड़पट्टी में रहने वाले मोहम्मद हुसैन सैयद ने सच साबित करके दिखाई है। हुसैन के पिता मुंबई डॉक में मजदूरी करते हैं लेकिन उन्होंने बेटे की पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आने दी। पढ़ाई के अनुकूल माहौल न मिलने के बाद भी हुसैन ने पांचवी बार में आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया...
मुंबई: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से टकराये बिना नौका पार नहीं होती, कविता की यह पंक्तियां मुंबई के वाड़ीबंदर की झपड़पट्टी में रहने वाले हुसैन सैयद पर एकदम फिट बैठती हैं। मुफलिसी और तंगहाली के बावजूद हुसैन ने अपनी पढ़ाई और जज्बे को जिंदा रखते हुए यूपीएसी की परीक्षा में 570वीं रैंक हासिल की है। हुसैन मुंबई में जहां रहते हैं वहां ज्यादातर डॉक में काम करने वाले लोग रहते हैं। इनमें से एक घर डॉकयार्ड पर लेबर सुपरवाइजर का काम करने वाले रमजान सैयद का भी है। रमजान सैयद हुसैन के पिता हैं। मंगलवार को उनके घर का माहौल खुशियों से सराबोर था। देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी मानी जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा को उनके सबसे छोटे बेटे मोहम्मद हुसैन ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 पास कर ली थी। यूं तो यूपीएससी 2022 के रिजल्ट से खुशी तो देश के 933 छात्रों और उनके परिजनों को मिली। हालांकि, मोहम्मद हुसैन की उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने यहां तक पहुंचने के दौरान कई कठिन सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना किया था...Mohammad Hussain become an IAS officer...
मोहम्मद हुसैन के पास एक नहीं कई मुसीबतें थी मसलन उनकी खराब आर्थिक स्थिति के साथ- साथ जगह की कमी। इसके अलावा घर में पढ़ाई के अनुकूल माहौल नहीं था। साथ ही सिविल सेवा परीक्षा के संबंध में शुरुआत में बहुत कम जानकारी और जरूरी मार्गदर्शन और संसाधनों की कमी का भी सामना करना पड़ा। इन सब चुनौतियों को पछाड़ते हुए 27 वर्षीय मोहम्मद पांचवें प्रयास में ऑल इंडिया 570 रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास करने में कामयाब रहे।
मोहम्मद हुसैन के मुताबिक एक बार जब वह अपने पिता के साथ एक सरकारी दफ्तर में गए थे। तभी उनके जहन में आईएएस अधिकारी बनने का जज्बा पैदा हुआ। हुसैन कहते हैं कि मेरी इस यात्रा के दौरान मेरे परिवार ने हमेशा साथ दिया। यहां तक की घरेलू समस्याओं से भी दूर रखने की कोशिश की ताकि मेरा ध्यान पढ़ाई से न भटके। हुसैन ने बताया कि जब भी वह परीक्षा देने जाते थे तो उनके पिता भी साथ जाते थे। मुंबई के वाड़ी बंदर की झुग्गियों में रहने वाले मोहम्मद हुसैन के साथ उनकी नानी, माता-पिता, बड़े भाई और उनकी पत्नियां व बच्चे रहते है....Mohammad Hussain become an IAS officer...
मोहम्मद हुसैन की माने तो उनके दादा सरकारी नौकरी करते थे लेकिन उनके पिता कभी स्कूल नहीं गए। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत डॉकयार्ड में ट्रकों से सामान उतारने और लादने वाले मजदूर के रूप में की थी। धीरे-धीरे वह लेबर सुपरवाइजर बने। उनके भाई भी डॉक में काम करते थे....Mohammad Hussain become an IAS officer...
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