NCP (अजित पवार गुट) नेता छगन भुजबल को भ्रष्टाचार के एक मामले में नोटिस जारी
Notice issued to NCP (Ajit Pawar faction) leader Chhagan Bhujbal in a corruption case.
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के खाद्य मंत्री और NCP(अजित पवार गुट) नेता छगन भुजबल को भ्रष्टाचार के एक मामले में नोटिस जारी किया है. ये मामला महाराष्ट्र सदन निर्माण में हुए घोटाले से जुड़ा है. 9 साल पुराने इस मामले में तीन साल पहले उन्हें मुंबई की एक निचली अदालत ने बरी कर दिया था.
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के खाद्य मंत्री और NCP (अजित पवार गुट) नेता छगन भुजबल को भ्रष्टाचार के एक मामले में नोटिस जारी किया है. ये मामला महाराष्ट्र सदन निर्माण में हुए घोटाले से जुड़ा है. 9 साल पुराने इस मामले में तीन साल पहले उन्हें मुंबई की एक निचली अदालत ने बरी कर दिया था. लेकिन इसके खिलाफ एक सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया हाई कोर्ट चली गई थीं.
अब कोर्ट ने भुजबल के अलावा उनके बेटे समीर और भतीजे पंकज और 6 अन्य लोगों को भी नोटिस जारी किया है. इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, अंजलि दमानिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस एसएम मोदक की बेंच के सामने बताया कि वो इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता थीं. और उन्हीं की याचिका पर हाई कोर्ट ने साल 2014 में इस घोटाले में केस दर्ज करने का निर्देश दिया था.
दमानिया ने छगन भुजबल को बरी किए जाने के खिलाफ जनवरी 2022 में पहली बार बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था. लेकिन तब से कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट चली गईं. वहां उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में उनकी याचिका दो साल से लंबित है और सुनवाई नहीं हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने दमानिया को निर्देश दिया कि वो अपनी याचिका पर सुनवाई के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास जाएं. इसके बाद नई बेंच गठित की गई. एक अप्रैल को अंजलि दमानिया के वकील रिजवान मर्चेंट ने कोर्ट से कहा कि भुजबल के खिलाफ एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) के जरिये नोटिस जारी होना चाहिए. कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया.
दो साल जेल में रहे थे भुजबल ये मामला साल 2005-06 का है. तब छगन भुजबल लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे. उन पर आरोप लगा कि दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण के लिए उन्होंने एक कंपनी से करोड़ों रुपये लिए. बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि दोनों इस मामले की संयुक्त रूप से जांच करे. ACB ने उनके खिलाफ जून 2015 में केस दर्ज किया.
ACB ने जांच में दावा किया कि महाराष्ट्र सदन के निर्माण में भुजबल परिवार ने रिश्वत ली. ये भी कहा गया कि महाराष्ट्र सदन की असल लागत 13.5 करोड़ रुपये थी. जो बाद में बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दी गई थी. ACB ने दावा किया कि छगन भुजबल और उनके परिवार को चमनकार फर्म से घूस के तौर पर 13.5 करोड़ रुपये मिले. जांच में ये सामने आया कि इस फर्म को महाराष्ट्र सदन और दूसरे PWD के कामों से 190 करोड़ रुपये का फायदा हुआ.
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