तेज गति से चलती कार का टायर फटने को कोई ईश्वरी प्रकोप नहीं माना जा सकता- मुंबई हाइकोर्ट
The bursting of a tire of a car moving at high speed cannot be considered as an act of God – Bombay High Court
तेज गति से चलती कार का टायर फटने को कोई ईश्वरी प्रकोप नहीं माना जा सकता। ऐसी फटकार लगाते हुए मुंबई हाइकोर्ट ने एक निजी बीमा कंपनी को ब्याज सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी इस मामले में मुआवजा देने के अपने दायित्व से केवल यह कहकर मुंह नहीं मोड़ सकती कि टायर फटना ईश्वरीय कृत्य है।
मुंबई : तेज गति से चलती कार का टायर फटने को कोई ईश्वरी प्रकोप नहीं माना जा सकता। ऐसी फटकार लगाते हुए मुंबई हाइकोर्ट ने एक निजी बीमा कंपनी को ब्याज सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी इस मामले में मुआवजा देने के अपने दायित्व से केवल यह कहकर मुंह नहीं मोड़ सकती कि टायर फटना ईश्वरीय कृत्य है। इससे पहले मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने मुआवजे के संबंध में आदेश जारी किया था, जिसके खिलाफ इंश्योरेंस कंपनी ने हाईकोर्ट में अपील स्वरूप याचिका दायर की थी। कंपनी के मुताबिक, यह हादसा कार का टायर फटने के चलते हुआ है। इस प्रकरण में ड्राइवर की कोई गलती नहीं है। यह पूरी तरह से एक प्राकृतिक हादसा है।
लेकिन ट्रिब्यूनल ने आदेश देते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है, वहीं मामले से जुड़े मृतक के परिजनों की ओर से पैरवी करनेवाले वकील ने ट्रिब्यूनल के आदेश को वैध माना और दावा किया कि ट्रिब्यूनल ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद मुआवजे को लेकर आदेश जारी किया है। न्यायमूर्ति एसजी दिघे के सामने बीमा कंपनी की ओर से दायर की गई अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि शब्दकोष में कुदरती हादसा का जो अर्थ दिया गया है, उसके मुताबिक, प्राकृतिक कृत्य एक ऐसी गंभीर, अप्रत्याशित प्राकृतिक घटना को संदर्भित करता है, जिसके लिए कोई भी मानव जिम्मेदार नहीं है। इस लिहाज से मेरी राय में टायर का फटना कोई प्राकृतिक कृत्य नहीं है, यह मानवीय लापरवाही है।
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