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कम-से-कम तीन सप्ताह तक चलाया जाना चाहिए शीत सत्र - विपक्ष की मांग
The winter session should be run for at least three weeks - the demand of the opposition
महाराष्ट्र विधानमंडल का शीत सत्र १९ दिसंबर से उपराजधानी नागपुर में आयोजित होने जा रहा है। इसके लिए कल विधान भवन में आयोजित सलाहकार समिति की बैठक में विपक्षी दल महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने कम दिनों के शीत सत्र को लेकर जमकर आपत्ति जताई।
मुंबई : महाराष्ट्र विधानमंडल का शीत सत्र १९ दिसंबर से उपराजधानी नागपुर में आयोजित होने जा रहा है। इसके लिए कल विधान भवन में आयोजित सलाहकार समिति की बैठक में विपक्षी दल महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने कम दिनों के शीत सत्र को लेकर जमकर आपत्ति जताई। विपक्ष ने मांग की है कि मराठवाड़ा और विदर्भ के लोगों की समस्याओं का हल निकालने के लिए शीत सत्र कम-से-कम तीन सप्ताह तक चलाया जाना चाहिए।
विधानमंडल सलाहकार समिति की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई। आखिरकार, विपक्ष की मांग पर गौर करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सत्र की कालावधि बढ़ाने पर नागपुर में होनेवाली अगली बैठक में निर्णय लेने पर सहमत हुए। महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र १९ दिसंबर से नागपुर में आयोजित होने जा रहा है।
कोरोना महामारी पर नियंत्रण मिलने के बाद नागपुर में यह पहला अधिवेशन होगा। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे की नेतृत्ववाली महाविकास आघाड़ी सरकार कोरोना महामारी के भीषण संकट के बीच होनेवाले कम दिनों के अधिवेशन को लेकर विपक्षी दल भाजपा पर सवाल उठाती रही।
विधानमंडल सलाहकार समिति की मंगलवार को हुई बैठक में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने मांग की कि अधिवेशन कम-से-कम तीन सप्ताह तक चलाया जाए, ताकि हम विदर्भ और मराठवाड़ा के मसलों का हल निकाल सकें। पवार ने यह भी कहा कि मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम का अमृत पर्व सभी दलों की भागीदारी से भव्य रूप से मनाया जाए।
इस बैठक में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राहुल नार्वेकर, उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना नेता सुनील प्रभु, अनिल परब, राकांपा नेता छगन भुजबल, कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात सहित सभी संबंधित नेता शामिल थे।
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