BJP कांग्रेस के लिए कम नहीं हैं चुनौतियां...कर्नाटक सीमा विवाद पर महाराष्ट्र के गठबंधनों में तनातनी बढ़ी
Challenges are not less for BJP Congress… Tension increased in Maharashtra alliances on Karnataka border dispute
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच तनातनी बढ़ा दी है. दोनों ही गठजोड़ यह दिखाने की होड़ में लगे हैं कि उन्हें दूसरे की तुलना में इस मामले की कितनी ज्यादा परवाह है, और इन सबके बीच गठबंधनों में शामिल दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं.
मुंबई: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच तनातनी बढ़ा दी है. दोनों ही गठजोड़ यह दिखाने की होड़ में लगे हैं कि उन्हें दूसरे की तुलना में इस मामले की कितनी ज्यादा परवाह है, और इन सबके बीच गठबंधनों में शामिल दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं.
महाराष्ट्र की सीमा और बेलगाम (बेलगावी) शहर के 814 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग को लेकर एक लंबे समय में विवाद चलता आ रहा है. एक बड़ी मराठी भाषी आबादी वाले ये इलाके अभी कर्नाटक का हिस्सा हैं. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)—जो दोनों दल कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा हैं—के सदस्यों ने बुधवार को पूरे महाराष्ट्र में आंदोलन किया, कर्नाटक से आने-जाने वाली बसों पर गुस्सा उतारा गया.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एनसीपी दोनों ही पार्टियों के सांसदों ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया. दूसरी तरफ, महाराष्ट्र भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबंची शिवसेना के नेताओं का दावा है कि उन्होंने बुधवार को इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाया और इस बात पर जोर दिया कि वे इसका समाधान चाहते हैं. न कि ‘विपक्ष की तरह इसका राजनीतिकरण करना.’
महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच इस मामले में जहां तनातनी चल रही है, वहीं दोनों तरफ के राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस संतुलन साधने की कोशिश में जुटे, जिन्हें 2023 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का सामना करना है. भाजपा नेता सुप्रीम कोर्ट के जरिये एक त्वरित कानूनी समाधान की बात कर रहे हैं, जहां मामला विचारधीन है. वहीं. कांग्रेस ने दोनों राज्यों में इस मुद्दे को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए भाजपा को घेरा है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस 1999 से 2014 तक एनसीपी के साथ गठबंधन में सत्ता में थी. कांग्रेस-एनसीपी शासनकाल के दौरान ही 2004 में महाराष्ट्र ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था. राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा अब वही बातें कह रही है जो कांग्रेस महाराष्ट्र की सत्ता में रहने के दौरान कहा करती थी और सीमा का मुद्दा समय-समय पर भड़कता रहता था.’
उन्होंने कहा, ‘जब कांग्रेस सत्ता में थी और सीमा विवाद को लेकर कभी-कभी तनाव होता था, तो भाजपा कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पूछती थी कि केंद्र में अपनी सरकार होने के बावजूद वह इस मुद्दे का समाधान क्यों नहीं निकाल रही है. लेकिन अब स्थिति उलट गई है.’
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