मुंबई में चमकेंगे स्काईवॉक...लाइटिंग और सजावट करेगी बीएमसी
Skywalk will shine in Mumbai… BMC will do lighting and decoration
मुंबई में स्टेशनों के आसपास जिस उद्देश्य से स्काईवॉक बनाए गए थे उस हिसाब से इसका उपयोग नहीं हो रहा है। कई स्काईवॉक खराब हो गए हैं तो कई पर लाइट की व्यवस्था न होने के कारण असामाजिक तत्वों का कब्ज़ा रहता है। बीएमसी ने मुंबई के सौंदर्यीकरण के लिए बीएमसी ने 1700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
मुंबई : मुंबई में स्टेशनों के आसपास जिस उद्देश्य से स्काईवॉक बनाए गए थे उस हिसाब से इसका उपयोग नहीं हो रहा है। कई स्काईवॉक खराब हो गए हैं तो कई पर लाइट की व्यवस्था न होने के कारण असामाजिक तत्वों का कब्ज़ा रहता है। बीएमसी ने मुंबई के सौंदर्यीकरण के लिए बीएमसी ने 1700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसी योजना के तहत स्काईवॉक को बेहतर बनाने की योजना बनाई है।
बीएमसी की योजना के अनुसार स्काईवॉक की लाइटिंग की जाएगी और उसकी सजावट होगी। जिससे लोग दिन हो या रात आसानी से स्काईवॉक का इस्तेमाल कर सके। इसके लिए बीएमसी 65 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई में स्काईवॉक का उपयोग आम नागरिकों द्वारा किया जाना चाहिए, विशेष रूप से रात में इसके लिए स्काईवॉक पर सफाई, पेंटिंग और लाइटिंग का काम किया जाएगा। आनेवाले दिनों में स्काईवॉक लाइटिंग से जगमगाएंगे।
बता दें कि मुंबई में स्टेशन के आसपास 36 स्काईवॉक बनाए गए हैं। इसमें से 28 एमएमआरडीए ने और 8 एमएसआरडीसी ने बनाए हैं। इन स्काईवॉक के निर्माण पर करीब 700 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। बाद में इसकी देखभाल की जिम्मेदारी बीएमसी को सौंप दिया गया है।
ज्यादातर स्काईवॉक की स्थिति खराब है। वहीं उचित व्यवस्था न होने के कारण ज्यादातर का बहुत काम उपयोग होता है। असामाजिक तत्वों और हॉकर्स का कब्ज़ा रहता है। रात में कई जगह लाइट की व्यवस्था नहीं रहती इसके वजह से लोग आने-जाने से बचते हैं। स्काईवॉक के काब्स और पवार ब्लॉक उखड़े रहते हैं।
बीएमसी में नगरसेवकों ने कई बार स्काईवॉक की दुर्दशा का मुद्दा उठाया था। नगरसेवकों ने इसे बीएमसी के लिए सफ़ेद हाथी कहा था। क्योंकि इस पर बीएमसी का खर्च होते है, लेकिन उससे मिलता कुछ नहीं है। नगरसेवकों का कहना था कि लोग सड़क से कम सफर करें और आसानी से स्टेशन पहुंच जाए इसके लिए स्काईवॉक बनाया गया था ।
स्काईवॉक का उपयोग आम नागरिक नही कर रहे हैं। जबकि करोड़ो रुपया मरम्म्त पर खर्च किया जा रहा है। कुछ नगरसेवकों ने आरोप लगाया था कि स्काईवॉक लोगों के घरों की प्राइवेसी खत्म कर रहा है। राहगीर स्काईवॉक से जाते समय आसपास के घरों में नजर गड़ा कर देखते रहते हैं। नियमतः लोग भूमिगत सबवे का उपयोग कर लेते है क्योंकि उसमें सीढ़ी पर चढ़ना नही होता ह। बुजुर्ग तो स्काईवॉक का उपयोग भी नही करते।
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