केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, 12 साल पुरानी सहयोगी पार्टी आरपीआई को किया जा रहा है नजरअंदाज...

Union Minister Ramdas Athawale said, 12 year old ally party APIA is being ignored...

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, 12 साल पुरानी सहयोगी पार्टी आरपीआई  को किया जा रहा है नजरअंदाज...

साल 2012 के बीएमसी चुनावों में आरपीआई द्वारा बीजेपी-शिवसेना को समर्थन देने के बाद महायुति (सत्तारूढ़ गठबंधन) का गठन किया गया था. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के शामिल हो जाने के कारण इस बार महायुति का गठन नहीं हो सका. आरपीआई कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि उन्हें गठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा है.

मुंबई: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने गुरुवार को कहा कि बीजेपी को रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) को चुनाव लड़ने के लिए कम से कम दो लोकसभा सीटें देनी चाहिए. अठावले ने कहा कि उन्होंने फरवरी में महाराष्ट्र में शिरडी और सोलापुर सीटें मांगी थीं. दुर्भाग्य से सीट बंटवारे की प्रक्रिया में आरपीआई (ए) का नाम कहीं नहीं दिख रहा है. उन्होंने दावा किया नए साझेदारों को तरजीह दी जा रही है, जबकि मेरी पार्टी जो 12 साल से बीजेपी की सहयोगी रही है, को नजरअंदाज किया जा रहा है.

साल 2012 के बीएमसी चुनावों में आरपीआई द्वारा बीजेपी-शिवसेना को समर्थन देने के बाद महायुति (सत्तारूढ़ गठबंधन) का गठन किया गया था. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के शामिल हो जाने के कारण इस बार महायुति का गठन नहीं हो सका. आरपीआई कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि उन्हें गठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा है.

आरपीआईए नेता रामदास अठावले ने कहा, 'अगर आरपीआई(ए) को दो सीटें नहीं दी जाती हैं, तो विचार-विमर्श होना चाहिए कि वे इसके बदले और क्या पेशकश करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र के उप प्रमुख से मिलेंगे. मंत्री देवेन्द्र फड़णवीस पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं से अवगत कराएंगे. हम मांग करेंगे कि आरपीआई को केंद्र में एक कैबिनेट रैंक का पद मिलना चाहिए. राज्य में उन्हें हमें एक कैबिनेट पद, कुछ महासंघों में अध्यक्ष पद और अन्य पद देने चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'हम राज्य चुनाव में कम से कम एक एमएलसी पद और कम से कम 10 सीटों की मांग करेंगे. आरपीआई मजबूती से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी है. हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि आरपीआई का अपमान किया जा रहा है और मुझे उचित निर्णय लेने के लिए कहा गया है. उन्होंने दावा किया कि आरपीआई को विश्वास में नहीं लिया गया है, पार्टी को किसी भी बैठक के लिए नहीं बुलाया जा रहा है. सीट बंटवारे पर पार्टी के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है. शिरडी लोकसभा पर बीजेपी को निर्णय लेना चाहिए क्योंकि आरपीआई इसे जीत सकती है.'

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