संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी का निधन

संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी का निधन

एम.आई.आलम

बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी का सोमवार को निधन हो गया. उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित सुजॉय अस्पताल में सोमवार रात 9.30 पर आखिरी सांस ली। वो सांस की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। पिछले एक हफ़्ते से आईसीयू में वेंटिलेटर पर थे. उनकी उम्र 93 साल थी। उनके निधन की खबर से पूरा बॉलीवुड सदमे में है।

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खय्याम ने ‘कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है’, ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ जैसे गानों की सदाबहार धुनें बनाईं थी। जिसे पुरानी पीढ़ी के साथ साथ नई पीढ़ी भी गुनगुनाती है।
खय्याम ने ‘कभी-कभी, उमराव जान, बाजार, नूरी, फुटपाथ, गुल बहार, त्रिशूल, फिर सुबह होगी, शोला और शबनम, शगुन, आखिरी खत, खानदान, थोड़ी सी बेवफाई, चंबल की कसम, रजिया सुल्तान जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था।

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इतना ही नहीं जब कभी खय्याम की बात की जाती है तो उनके गैर-फिल्मी गानों की भी खूब चर्चा होती है। असल में उन्होंने ‘बृज में लौट चलो’, ‘पांव पड़ूं तोरे श्याम’, ‘गजब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया’ जैसे गैर-फिल्मी गाने भी बनाए। 2007 में खय्याम को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड दिया गया। 2011 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।

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आपको बता दें कि खय्याम दूसरे विश्व युद्ध के समय सेना में थे। लेकिन यह नौकरी उनकी पसंद की नहीं थी, इसलिए अपने सपनों को पूरा करने की उम्मीद लिए वह बंबई चले गए. खय्याम ने 1948 में फिल्म हीर रांझा में शर्माजी के तौर पर फिल्मों में संगीत देने की शुरुआत की. उस फिल्म में संगीतकारों की जोड़ी शर्माजी-वर्माजी थी. रहमान वर्मा के पाकिस्तान चले जाने के बाद खय्याम ने फिर अकेले काम शुरू किया. उनकी शुरुआती फिल्म का एक गाना– अकेले में वो घबराते तो होंगे बहुत लोकप्रिय हुआ था । उन्हें असल पहचान मिली फिल्म फिर सुबह होगी से. इसके गाने साहिर लुधियानवी ने लिखे थे. फिर उनकी फिल्म शोला और शबनम आई, जिसमें गाना था – जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें.. जो बहुत पसंद किया गया. फिल्म शगुन में उन्होंने अपनी पत्नी जगजीत कौर से गवाया – तुम अपने रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो. यह गाना भी हिट रहा.रह।

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