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केरल में सगे भाई-बहनों की शादी करा देने की परंपरा पर कोर्ट ने लगाई रोक!
Court bans tradition of getting married of real brothers and sisters in Kerala!
केरल में एक ईसाई समुदाय की परंपरा पर वहां की कोट्टायम कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह परंपरा है भाई-बहनों की आपस में शादी कराने की। कोर्ट का कहना है कि यह कोई धार्मिक मामला नहीं है इसलिए यह परंपरा बंद करें। यह मामला चचेरे, ममेरे, फुफेरे या दूर की रिश्तेदारी वाले भाई-बहनों से जुड़ा नहीं है, बल्कि सगे भाई-बहनों की शादी करा देने की परंपरा का है।
मुंबई : केरल में एक ईसाई समुदाय की परंपरा पर वहां की कोट्टायम कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह परंपरा है भाई-बहनों की आपस में शादी कराने की। कोर्ट का कहना है कि यह कोई धार्मिक मामला नहीं है इसलिए यह परंपरा बंद करें। यह मामला चचेरे, ममेरे, फुफेरे या दूर की रिश्तेदारी वाले भाई-बहनों से जुड़ा नहीं है, बल्कि सगे भाई-बहनों की शादी करा देने की परंपरा का है।
सीमित क्षेत्र में सीमित आबादी वाला यह समुदाय इस परंपरा के पीछे का कारण भी अलग ही देता है। भाई-बहन की शादी कराने की परंपरा के पीछे इनका तर्क सबको चौंका सकता है। दरअसल केरल में रहनेवाला यह एक ऐसा ईसाई समुदाय है जो खुद को जातिगत रूप से बहुत शुद्ध मानता है। इस समुदाय में अपनी शुद्धता को बनाए रखने के लिए सगे भाई-बहनों की भी आपस में शादी करा दी जाती है।
कनन्या कैथोलिक समुदाय खुद को उन ७२ यहूदी-ईसाई परिवारों का वंशज मानता है, जो ३४५ ईसवी में थॉमस ऑफ किनाई व्यापारी के साथ मेसोपोटामिया से यहां आए थे। रिपोर्ट में बताया है कि किनाई ही बाद में कनन्या हो गया। केरल के कोट्टायम और इसके पास के जिलों में इस समुदाय के करीब १.६७ लाख लोग हैं। इनमें से २१८ पादरी और नन हैं।
इस समुदाय के लोग अपनी जातिगत शुद्धता बनाए रखने के लिए अमूमन समाज से बाहर शादी नहीं करते। अगर कोई समुदाय से बाहर शादी करता है तो उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, उसके चर्च और कब्रिस्तान जाने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है। समाज से बाहर शादी करनेवाला व्यक्ति इस समाज की अन्य शादी और आयोजनों, यहां तक कि अपने रिश्तेदारों की शादी में भी नहीं जा सकता।
समाज से बहिष्कृत होने के बाद फिर समाज में वापस आने की भी एक अपवाद स्थिति है। इस समुदाय के किसी लड़के ने बाहरी लड़की से शादी कर ली और उस बाहरी की अगर मृत्यु हो जाए तो उसे समाज में वापस लेने का भी प्रावधान है लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं। शर्त ये है कि उस लड़के को फिर से अपने समुदाय की किसी लड़की से शादी करनी होगी। दूसरी शर्त ये भी है कि अगर पहली पत्नी (बाहरी लड़की) कोई संतान हुई हो तो उसे समुदाय में नहीं ला सकते।
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