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29 नवंबर तक टली महाराष्ट्र में सियासी संकट पर सुनवाई... SC ने शिंदे-ठाकरे गुट को दिया 4 हफ्तों का समय
Hearing on political crisis in Maharashtra postponed till November 29... SC gives 4 weeks time to Shinde-Thackeray faction
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के प्रतिद्वंदी समूहों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों से मामले के दस्तावेज पूरा करने और जिन मुद्दों पर सुनवाई होनी हैं उन्हें चार सप्ताह के भीतर तैयार करने को कहा है.
महाराष्ट्र : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के प्रतिद्वंदी समूहों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों से मामले के दस्तावेज पूरा करने और जिन मुद्दों पर सुनवाई होनी हैं उन्हें चार सप्ताह के भीतर तैयार करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा कि हर पक्ष यह भी तय करे कि किस मुद्दे पर कौन जिरह करेगा ताकि सुनवाई को तेजी से निपटाया जा सके. उद्धव ठाकरे पक्ष ने वकील जावेदुर रहमान और शिंदे पक्ष ने वकील चिराग शाह का नाम संकलन के लिये तैयार करने के लिए प्रस्तावित किया है.
महाराष्ट्र में तख्तापलट कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने वाले एकनाथ शिंदे का पद वैध है कि नहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज इस मसले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन शिंदे गुट ने कोर्ट से इस मुद्दे पर बहस के लिए कुछ और समय की मांग की जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी.
बता दें कि महाविकास अघाड़ी सरकार ने शिंदे गुट में शामिल होने वाले 16 विधायकों को अयोग्य घोषित किया था, इन 16 विधायकों में एकनाथ शिंदे भी शामिल थे. इन 16 विधायकों की पात्रता के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुभाष देसाई ने याचिका दायर की थी. कोर्ट में इसी मसले पर सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने भारत के चुनाव आयोग को यह तय करने की अनुमति दी थी कि उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच किस गुट को 'असली' शिवसेना पार्टी के रूप में मान्यता दी जाए और धनुष और तीर का चिन्ह आवंटित किया जाए.
कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से शिवसेना के सदस्यों के खिलाफ जारी किए गए नए अयोग्यता नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए भी कहा था. कोर्ट ने कहा था कि अभी दोनों धड़ों की कई याचिकाएं सुनवाई के लिए लंबित हैं.
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