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SC ने कहा जमानत की शर्त के तहत अदालतें लोगों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से नहीं रोक सकतीं

SC ने कहा जमानत की शर्त के तहत अदालतें लोगों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से नहीं रोक सकतीं उच्च न्यायालय ने अगस्त 2022 में उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए यह शर्त लगाई थी। शीर्ष अदालत ने अपने 22 मार्च के आदेश में कहा, हमने पाया है कि ऐसी शर्त लगाने से अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती है। इसमें कहा गया है, इसलिए, हम उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्त को उस सीमा तक रद्द और खारिज करते हैं, जैसा कि ऊपर बताया गया है। दास ने जमानत पर रिहाई का निर्देश देते हुए 11 अगस्त, 2022 के आदेश में लगाई गई शर्त में संशोधन की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
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5 करोड़ से ज्यादा देश की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में करीब 80 हजार केस लंबित... संसद में कानून मंत्री ने दी जानकारी

5 करोड़ से ज्यादा देश की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में करीब 80 हजार केस लंबित... संसद में कानून मंत्री ने दी जानकारी केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय न्यायपालिका की कुल स्वीकृत संख्या 26,568 न्यायाधीशों की है। जहां सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है, वहीं हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 1,114 है। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 25,420 है।
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Mumbai 

न्यायालयों में ५१ लाख ७९ हजार ४२३ मामले विचाराधीन...

न्यायालयों में ५१ लाख ७९ हजार ४२३ मामले विचाराधीन... वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला सत्र न्यायालय तक लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। जनवरी २०१८ के आंकड़ों के मुताबिक, देश में २ करोड़ ९८ लाख ४४ हजार ३५८ मामले ‘तारीख’ का इंतजार कर रहे थे। यहां उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालयों और जिला सत्र न्यायालयों में ३० लाख २६ हजार ६७३ मामले १० साल से अधिक समय से लंबित थे।
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Maharashtra 

केंद्रीय एजेंसियां और अदालतें उस दिशा में जा रही हैं जो तानाशाही को आमंत्रित करती हैः संजय राउत

केंद्रीय एजेंसियां और अदालतें उस दिशा में जा रही हैं जो तानाशाही को आमंत्रित करती हैः संजय राउत संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में मिली सजा संकेत देती है कि केंद्रीय एजेंसियां और अदालतें उस दिशा में जा रही हैं जो तानाशाही को आमंत्रित करती है और विपक्ष का आवाज दबाती है। राउत ने संवाददाताओं ने बताया कि राहुल गांधी ने राजनीतिक रैली में बयान दिया था और यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसकी मानहानि हुई। उन्होंने कहा, गुजरात के सूरत में अदालत है।
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