मौत का फर्जी दावा करने पर पूनम पांडे के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई!
Action may be taken against Poonam Pandey for making fake death claim!
मुंबई: मॉडल और अभिनेत्री पूनम पांडे जिंदा निकलीं। शुक्रवार को अपने मैनेजर के हवाले से उन्होंने खुद की मौत का फर्जी पोस्ट सोशल मीडिया पर डाला था। पूरे दिन उनके मौत पर रहस्य बना रहा। न तो उनके परिवार की ओर से इसे लेकर कोई बयान दिया गया। न ही उनका शव कहीं दिखा।
मुंबई: मॉडल और अभिनेत्री पूनम पांडे जिंदा निकलीं। शुक्रवार को अपने मैनेजर के हवाले से उन्होंने खुद की मौत का फर्जी पोस्ट सोशल मीडिया पर डाला था। पूरे दिन उनके मौत पर रहस्य बना रहा। न तो उनके परिवार की ओर से इसे लेकर कोई बयान दिया गया। न ही उनका शव कहीं दिखा। आखिरकार शनिवार को उन्होंने एक वीडियो जारी करके कहा कि उनका निधन नहीं हुआ है। उन्होंने दावा किया कि यह सब उन्होंने कैंसर से जागरुकता पैदा करने के लिए किया था।
पूनम पांडे के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। लोग इसे सुर्खियों में आने के लिए पूनम पांडे का हथकंडा बता रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब पूनम ने सुर्खियां बंटोरने के लिए कोई अजीबोगरीब हरकत की हो। इससे पहले भी उनके ऊपर नग्नता फैलाने से लेकर कई तरह के आरोप लग चुके हैं।
ताजा घटनाक्रम पर लोग अभिनेत्री पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। आखिर इस तरह के पोस्ट पर पूनम पर क्या कार्रवाई हो सकती है? मौत के बारे में फर्जी खबर फैलाने को लेकर देश में कानून क्या हैं? क्या सोशल मीडिया के ऐसे दुरुपयोग पर पूनम को सजा हो सकती है? आइये समझते हैं...
देश में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जब लोग अपनी मौत का फर्जी दावा करते पाए गए हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में अलग-अलग लोगों का अलग-अलग मकसद होता है। पिछले साल अक्तूबर में ही नौसेना के पूर्व अधिकारी बलेश कुमार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था जिसने हत्या के लिए सजा से बचने के लिए अपनी मौत का फर्जी दावा किया था। अपना दावा साबित करने के लिए आरोपी ने फर्जी आईडी तक बनवाई थी।
गिरफ्तारी के वक्त दिल्ली पुलिस ने अपराध शाखा पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी, गलत पहचान, आपराधिक साजिश और जालसाजी सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। अगर पूनम पांडे के मामले को देखें तो यह अन्य मामलों से अलग हैं। क्या पूनम के खिलाफ कोई केस बनता है या नहीं इस पर हमनें सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता से बात की। विराग कहते हैं, 'कोई शख्स अगर दो समूह, धर्म, नस्ल, क्षेत्र या भाषा के नाम पर नफरत बढ़ाने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-153ए के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
गैरजमानती अपराध होने के कारण ऐसे मामलों में पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा-505 के तहत भी केस दर्ज हो सकता है, जिसमे दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। हिंसा भड़काने वाले पोस्ट डालने और दंगा भड़कने पर किसी की मौत होने के मामले में आईपीसी के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। अफवाह फैलाने पर तोड़फोड़ होने या सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान होने पर अफवाह फैलाने वाले से सरकार वसूली भी कर सकती है।'
Comment List