58% लेडीज टॉइलेट में लाइट की सुविधा नहीं...1,800 से ज्यादा महिलाओं पर एक पब्लिक शौचालय!

58% ladies toilets do not have light facility...one public toilet for more than 1,800 women!

58% लेडीज टॉइलेट में लाइट की सुविधा नहीं...1,800 से ज्यादा महिलाओं पर एक पब्लिक शौचालय!

मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहीं पर देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बीएमसी भी है। बीएमसी महिलाओं को जरूरतों के मुताबिक, शौचालय सुविधा उपलब्ध कराने में पूरी तरह से विफल रही है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए टॉइलेटों की संख्या बहुत ही कम है।

मुंबई: मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। यहीं पर देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बीएमसी भी है। बीएमसी महिलाओं को जरूरतों के मुताबिक, शौचालय सुविधा उपलब्ध कराने में पूरी तरह से विफल रही है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए टॉइलेटों की संख्या बहुत ही कम है। मुंबई में औसतन 1820 महिलाओं पर केवल एक पब्लिक टॉइलेट है, जबकि 752 पुरुषों पर एक शौचालय उपलब्ध है। वहीं, 4 पब्लिक शौचालय में से केवल 1 महिलाओं के लिए है।

इसी प्रकार 58 प्रतिशत शौचालय में लाइट की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा होता है। स्वच्छ भारत अभियान के मुताबिक, 100-400 पुरुषों और 100-200 महिलाओं पर एक शौचालय होना चाहिए, लेकिन मुंबई में बीएमसी के कार्य स्वच्छ भारत अभियान के आंकड़े के आसपास भी नहीं ठहरते हैं।

42% लोगों के परिसर में शौचालय नहीं: बता दें कि करीब 42 प्रतिशत मुंबईकरों को उनके परिसर में शौचालय नहीं है, जबकि 94.8 प्रतिशत लोग पब्लिक या कम्युनिटी शौचालय का उपयोग करते हैं। प्रजा फाउंडेशन के योगेश मिश्रा ने बताया कि 45 हजार करोड़ रुपए के बजट वाली बीएमसी महिलाओं को जरूरत के मुताबिक, शौचालय उपलब्ध कराने में पूरी तरह से विफल रही है।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत किए गए शौचालय सर्वेक्षण के परिणाम दर्शाते हैं कि मुंबई के महज 28 प्रतिशत शौचालय पाइप सीवरेज प्रणाली से जुड़े हैं। इसी तरह 2019 तक मुंबई में 45 पुरुषों और 36 महिलाओं पर एक कम्युनिटी टॉइलेट सीट उपलब्ध है, जबकि स्वच्छ भारत अभियान के मुताबिक 35 पुरुषों और 25 महिलाओं पर एक टॉइलेट सीट होनी चाहिए।

पानी का कनेक्शन सही नहीं: एक सर्वे के मुताबिक, 72% शौचालय सीवरेज लाइन से कनेक्ट नहीं हैं। वहीं 78 फीसदी शौचालय में पानी कनेक्शन की सही व्यवस्था नहीं की गई है। पिछले 10 सालों में शौचालय को लेकर बीएमसी को मिलने वाली शिकायत में 230% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

साल 2012 में शौचालय को लेकर 148 शिकायत मिली थी, जो 2021 में बढ़कर 489 तक पहुंच गई। मुंबई में कुल सार्वजनिक शौचालयों में से सिर्फ 25 प्रतिशत महिलाओं के लिए, 71 प्रतिशत पुरुषों के लिए और 4 प्रतिशत विकलांग नागरिकों के लिए हैं।

बता दें कि मुंबई के प्रमुख स्लम इलाकों में शामिल गोवंडी में इस साल अगस्त से लेकर अक्टूबर के बीच 188 सार्वजानिक शौचालयों में 3587 टॉइलेट सीट लगाई गई। प्रति सीट बीएमसी ने यहां 1.5 लाख रुपए खर्च किए हैं। इन टॉइलेट सीटों को लगाने में बीएमसी ने 53.8 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

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