जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी के नाम की घोषणा कि
Former Jammu and Kashmir Chief Minister Ghulam Nabi Azad announced the name of his new party
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी के नाम की घोषणा कर दी है. उन्होंने अपनी नई पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी रखा है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी के नाम की घोषणा कर दी है. उन्होंने अपनी नई पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी रखा है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं अपनी पार्टी का ऐलान पहले करना चाहता था लेकिन नवरात्रि के शुभ अवसर पर मैं यह पार्टी की शुरुआत कर रहा हूं.
उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी है. पार्टी की अपनी सोच होगी किसी से प्रभावित नहीं होगी. आजाद का मतलब होता है स्वतंत्र. नीचे से चुनाव होंगे और एक हाथ में ताकत नहीं रहेगी और जो हमारा संविधान होगा उसमें प्रावधान होगा पूर्ण लोकतंत्र के आधार पर. बड़ी बेताबी से जम्मू कश्मीर के लोग और मीडिया के लोग हमारी पार्टी का नाम जानने में इच्छुक थे. जम्मू कश्मीर के पार्टी का नाम रखना मुश्किल होता है.
यहां डायवर्सिटी है. 2 संभाग हैं और उसमें छोटे-छोटे इलाके हैं जिनमें अलग-अलग रिवाइज थे और नाम ऐसा होना चाहिए जो सबकी समझ में आए. जम्मू के लोगों को कश्मीर के लोगों को जो गांव में रहने वाले हैं उनको भी नाम समझ जाना चाहिए. देश भर से मेरे साथ ही उन्हें करीब डेढ़ हजार नाम भेजे हैं जिनमें कुछ उर्दू में कुछ हिंदी में लेकिन मैं चाहता था, जैसा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था जो उर्दू और हिंदी को समन्वय हो जिसे हिंदुस्तानी कहते हैं.
हमने यह पार्टी अपने साथियों के साथ विचार करके बनाई है और इस पार्टी के बारे में किसी अन्य पार्टी को कानों कान खबर नहीं है. हमारी सोच को कोई पार्टी प्रभावित नहीं कर सकती. हमारी पार्टी की विचारधारा गांधी की विचारधारा है. हमारी नीतियां जाति और धर्म से प्रेरित नहीं होगी. राजनीति में हमारे सामने सभी धर्मों का सम्मान और इज्जत है. हम सभी पार्टियों की इज्जत करते हैं. हमारी किसी से राजनीतिक दुश्मनी नहीं है. हमने अपनी बात करनी है और किसी भी नेता के खिलाफ नहीं बोलना.
हमें लोगों को देने के लिए बहुत कुछ है और जिनके पास लोगों को देने के लिए कुछ नहीं होता वह गालियां देते हैं. मैं जम्मू के लोगों से भी अपील करता हूं कि जो बीच में दीवार बन गई है उन्हें तोड़ने की कोशिश करें. धारा 370 खत्म होने के बाद जब मैं जम्मू कश्मीर आया तो यहां ट्रांसपोर्ट खत्म हो गया था दुकानें खत्म हो गई थी 70% इंडस्ट्री बंद हो गई. जब मैंने पता किया कि ऐसा क्यों हुआ तो पता लगा कि उनमें अधिकतर सामान श्रीनगर जाता था. हमारे लोगों को जो सांबा कठुआ और जम्मू में जो नखरे मिलती है अगर वह बंद हो जाए तो कश्मीर में इसका असर पड़ेगा
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