कोरोना काल में बंद आंगनवाड़ियों का दिख रहा असर...नागपुर जिले में बढ़ रहे कुपोषित बच्चे
The effect of closed Anganwadis is visible during the Corona period... Malnourished children growing in Nagpur district
एक ओर सरकार संपूर्ण राज्य को कुपोषण मुक्त करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. पोषण आहार योजना वर्षों से जारी है. आंगनवाड़ियों व मिनी आंगनवाड़ियों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं से लेकर नवजात शिशुओं तक के आहार, दवा आदि पर खर्च किये जा रहे हैं.
नागपुर : एक ओर सरकार संपूर्ण राज्य को कुपोषण मुक्त करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. पोषण आहार योजना वर्षों से जारी है. आंगनवाड़ियों व मिनी आंगनवाड़ियों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं से लेकर नवजात शिशुओं तक के आहार, दवा आदि पर खर्च किये जा रहे हैं.
बावजूद इसके जिले के दुर्गम ग्रामीण भागों में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. बीते जुलाई महीने में आई रिपोर्ट के अनुसार जिले में 1,117 कुपोषित बच्चे मिले हैं जिसमें 933 मध्यम तीव्र कुपोषित और 184 अतितीव्र कुपोषित बच्चों का समावेश है.
उस पर भी हिंगना तहसील में सर्वाधिक 192 बच्चे इस श्रेणी में पाये गए हैं जो चिंता का विषय तो है ही साथ ही महिला व बाल कल्याण विभाग के कार्य की पोल भी खोलता है.
जिले के नागपुर ग्रामीण, सावनेर और रामटेक तहसीलों में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है. हालांकि विभाग के डिप्टी सीईओ तांबे ने कहा कि इन बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए एनर्जी डेन्स न्यूट्रिशन फूड देना शुरू कर दिया गया है और उनकी स्थिति में तेजी से सुधार होगा.
आंगनवाड़ी में 1.40 लाख बच्चे
जिले में कुल 2,161 आंगनवाड़ी और 262 मिनी आंगनवाड़ी हैं जहां 1.40 लाख बच्चों को प्री नर्सरी की पढ़ाई के साथ ही पोषण आहार भी दिया जाता है. सरकार ने आदिवासी व दुर्गम भागों के नवजात व छोटे बच्चों कुपोषण से दूर रखने के लिए पोषण आहार की योजना शुरू की है.
इस बच्चों को ग्राम बालविकास केन्द्र के माध्यम से एनर्जी डेन्स न्यूट्रिशन फूड दिया जाता है ताकि वे स्वस्थ व पुष्ट रहें. बताया जा रहा है कि कोरोना काल में करीब 2 वर्ष आंगनवाड़ियां बंद थीं लेकिन बच्चों को पोषण आहार के रूप अनाज आदि उनके घरों पर दिया जा रहा था. अनेक शिकायतें उस दौरान मिल रही थीं और कुपोषण के बढ़ने का कारण यही समझा जा रहा है.
4 तहसील अधिक प्रभावित
जिले के 4 तहसीलों में अधिक कुपोषित बच्चे मिले हैं. इसमें हिंगना में 192, नागपुर ग्रामीण में 153 का समावेश है. सावनेर और रामटेक तहसील के दुर्गम आदिवासी भागों में क्रमश: 126 और 119 बच्चे मध्यम तीव्र और अतितीव्र श्रेणी के बच्चे कुपोषित मिले हैं. अधिकारी का कहना है इन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और जल्द ही हालात में सुधार हो जाएगा.
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