मामूली कीमत में होगा ब्लड कैंसर का इलाज, दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में शुरू हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर
Blood cancer will be treated at nominal cost at Safdarjung Hospital..
केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बुधवार को बीएमटी यानी ब्लेड मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा आम लोगों के लिए शुरू हो गई। मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. कौशल कालरा ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल केंद्र सरकार का पहला अस्पताल है, जहां बीएमटी सुविधा काफी कम रेट में उपलब्ध होगी।
ब्लड कैंसर, ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा जैसी बीमारी का इलाज ब्लड मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) है और अब यह सुविधा सफदरजंग अस्पताल में भी उपलब्ध होगी। एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ के बाद सफदरजंग तीसरा ऐसा सरकारी अस्पताल है, जहां पर यह सुविधा मिलेगी। आमतौर पर प्राइवेट अस्पतालों में बीएमटी का खर्च 10 से 15 लाख है, वही इलाज सफदरजंग में नाममात्र के खर्च में मिलेगा।
बुधवार को अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर बी एल शेरवाल ने इस सेंटर का उद्घाटन किया। वहीं, अस्पताल के कैंसर एक्सपर्ट डॉक्टर कौशल कालरा ने कहा कि ब्लड कैंसर के इलाज में यह तकनीक काफी कारगर है। पहले हमारे पास यह सुविधा नहीं थी, इसलिए हम यहां से अपने मरीज एम्स रेफर करते थे। लेकिन अब हम इन मरीजों का इलाज अपने सेंटर पर कर पाएंगे...Blood cancer will be treated at nominal cost at Safdarjung Hospital..
केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बुधवार को बीएमटी यानी ब्लेड मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा आम लोगों के लिए शुरू हो गई। मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. कौशल कालरा ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल केंद्र सरकार का पहला अस्पताल है, जहां बीएमटी सुविधा काफी कम रेट में उपलब्ध होगी।
डॉक्टर कालरा ने कहा कि बीएमटी दो प्रकार का होता है। पहला ऑटोलॉगस बीएमटी और दूसरा एलोजेनिक बीएमटी। जब ऐसे मरीज आते हैं तो पहले कीमोथेरेपी के जरिए उनकी बीमारी कम की जाती है। लेकिन कैंसर फिर भी खत्म नहीं होती।इसलिए ऑटोलॉगस ब्लड मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसमें मरीज का स्टेम सेल जिससे ब्लड और ब्लड से संबंधित अन्य तत्व बनते हैं, उसे निकाल कर प्रिजर्व कर लिया जाता है। उसके बाद हाई डोज देकर कैंसर खत्म कर दिया जाता है। फिर मरीज का स्टेम सेल लगा दिया जाता है, जिससे फ्रेश ब्लड बनने लगता है और बीमारी कंट्रोल हो जाती है। अभी पहले फेज में इस प्रोसेस से ट्रांसप्लांट शुरू किया जा रहा है...Blood cancer will be treated at nominal cost at Safdarjung Hospital..
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डॉक्टर कालरा ने आगे बताया कि एलोजेनिक बीएमटी में डोनर मरीज खुद नहीं, बल्कि दूसरा होता है। इसके लिए डोनर की मरीज से मैचिंग करनी होती है। इसमें भी प्रोसेस वही है, हाई डोज देकर बीमारी खत्म की जाती है और फिर डोनर का स्टेम सेल मरीज में डाल दिया जाता है, जिससे नए सिरे से ब्लड और उसके तत्व बनने लगते हैं।इसका रिजल्ट ज्यादा बेहतर होता है। लेकिन यह डोनर और मरीज की मैचिंग पर निर्भर करता है। जितनी बेहतर मैचिंग होती है, उतना बेहतर रिजल्ट आता है। एप्लास्टिक एनीमिया और थैलेसीमिया की बीमारी में यह तरीका कारगर है। चूंकि डोनर का स्टेम सेल इस्तेमाल होता है तो इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है। इसका प्राइवेट अस्पताल में खर्च 20 से 25 लाख रुपये तक आता है....Blood cancer will be treated at nominal cost at Safdarjung Hospital..
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पहले फेज में ऑटोलॉगस और दूसरे फेज में एलोजेनिक की शुरुआत की जाएगी। यह सुविधा पूरी तरह से फ्री है, लेकिन कभी-कभी कुछ जांच और कुछ कंज्यूमेबल में थोड़े-बहुत पैसे लग सकते हैं। लेकिन यह फीस इतनी कम होगी कि आम लोग इसे वहन कर पाएंगे। डॉक्टर ने कहा कि मल्टीपल मायलोमा के ही यहां सैकड़ों मरीज वेटिंग में हैं...Blood cancer will be treated at nominal cost at Safdarjung Hospital..

