
महाराष्ट्र : मुंबई से महज 100 KM दूर पहाड़ पार कर पानी लाने को मजबूर लोग, लड़कों की नहीं हो पा रही शादी
100 KM away from Mumbai people are forced to cross the mountain to get water boys are unable to get married...
शहापुर के अजनुप गांव में हर रोज महिलाएं सुबह 6 बजे से ही पानी भरने का काम करती हैं. इनके गांव में मौजूद कुआं पूरी तरह सूख चुका है. तीन गांव के बीच मात्र एक कुआं मौजूद है जिससे लगभग 1 हजार लोग प्यास बुझाते हैं.
तपती गर्मी और मॉनसून में हुई देरी का असर महाराष्ट्र (Maharashtra) के ग्रामीण इलाकों में पड़ा है. जहां पर लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. मुंबई से महज़ 100 किलोमीटर दूर शहापुर में हजारों गांव वाले टैंकर से पानी भरने को मजबूर हैं. जिस दिन टैंकर नहीं आता है, उस दिन लोगों को एक पूरा पहाड़ पार कर पानी भरने जाना पड़ता है. यह परेशानी सालों से मौजूद है और इसका सबसे बुरा हाल गांव की महिलाओं पर पड़ा है.
शहापुर के अजनुप गांव में हर रोज महिलाएं सुबह 6 बजे से ही पानी भरने का काम करती हैं. इनके गांव में मौजूद कुआं पूरी तरह सूख चुका है. तीन गांव के बीच मौजूद एक कुएं से करीब 1000 लोगों की प्यास बुझाई जाती है. लेकिन इस साल फरवरी महीने में ही पानी खत्म होने के बाद टैंकर के जरिए कुएं में पानी भरा जाता है. जिसका इस्तेमाल गांव वाले करते हैं.
55 वर्षीय सोमी एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ से पानी का मटका उठाती हैं. उम्र हो चुकी है लेकिन मजबूरी के चलते उन्हें हर रोज ऐसा करना पड़ रहा है. वो बताती हैं की कई सालों से इस जगह पर यह समस्या मौजूद है. इसी गांव में रहने वालीं संगीता वारे बताती हैं कि सुबह से छठी बार पानी भरने के लिए इस कुएं पर पहुंचीं हैं. इनके घर और इस कुएं के बीच की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है.
जब कुएं का पानी खत्म हो जाता है या किसी दिन टैंकर इनके गांव नहीं पहुंचता. तब इन महिलाओं को पानी भरने के लिए एक पूरा पहाड़ पार करना पड़ता है. पहाड़ के दूसरी तरफ वैतरणा नदी है जहां से यह पानी लाती हैं. क्योंकि पूरा पहाड़ उतरना और दोबारा चढ़ना पड़ता है इसलिए एक बार में कोई दो से ज्यादा मटके अपने साथ नहीं लाता. और कभी-कभी इन लोगों को कई बार पहाड़ चढ़ना और उतरना पड़ता है
शहापुर के ओठावा गांव में भी पानी की यही समस्या मौजूद है. गांव पहाड़ की चोटी पर बसा हुआ और लोग टैंकर के भरोसे जी रहे हैं. इसी गांव में रहने वालीं गंगुबाई हुडा बताती हैं की सालों से पानी नहीं मौजूद होने के कारण गांव में लड़कों की शादी नहीं हो रही है, कोई अपनी बेटी को यहां नहीं भेजना चाहता है.
पीढ़ियों से यहां पानी की परेशानी मौजूद है, जब इस गांव के लड़के शादी करने के लिए किसी से बात करते हैं तो उन्हें 4 से 8 साल तक इंतजार करना पड़ता है, कोई अपनी लड़की को इस गांव में नहीं भेजना चाहता क्योंकि यहां पानी नहीं है.. पानी भरने के लिए पहाड़ चढ़ना पड़ता है, 6 बजे पानी भरने जाने पर लोग 9 बजे वापस आते हैं.
गौरतलब है कि शहापुर तालुका में मौजूद तानसा, भात्सा, वैतरणा और मध्य वैतरणा जैसे बांध से मुंबई और उसके आसपास के इलाके में पानी पहुंचाई जाती है, लेकिन जिस शहापुर इलाके से यह पानी आता है, वहीं पर रहने वाले लोग परेशान हैं. क्योंकि यह लोग पहाड़ की चोटी पर रहते हैं, वहां पानी पहुंचाना एक बड़ी समस्या है. इलाके में मौजूद करीब 198 गांवों में 38 टैंकर से पानी पहुंचाया जाता है. पूर्व विधायक पांडुरंग बरोरा ने बताया की इन इलाकों में पानी पहुंचाने के लिए भावली डैम के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है और इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए कुल खर्च 316 करोड़ रुपए की है, लेकिन योजना पूरा होने में करीब 2 साल का वक्त लगेगा.
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