
भिवंडी में डंपिंग ग्राउंड सहित अन्य ठिकानों पर जलते कचरे की दुर्गंध से जीना हुआ मुहाल... लोगों को हो रही बीमारी
In Bhiwandi, including the dumping ground, it is difficult to live due to the foul smell of burning waste... people are getting sick
भिवंडी महानगरपालिका सफाई कर्मियों द्वारा कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर डंपिंग ग्राउंड सहित अन्य ठिकानों पर कचरा जलाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। महानगरपालिका के सफाई कर्मियों की टीम शहर से उठाए गए कचरे को डंपिंग ग्राउंड में आग लगाती है और अन्य जगहों पर एकत्रित हुए कचरे को भी आग के हवाले कर दिया जाता है।
भिवंडी: भिवंडी महानगरपालिका सफाई कर्मियों द्वारा कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर डंपिंग ग्राउंड सहित अन्य ठिकानों पर कचरा जलाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। महानगरपालिका के सफाई कर्मियों की टीम शहर से उठाए गए कचरे को डंपिंग ग्राउंड में आग लगाती है और अन्य जगहों पर एकत्रित हुए कचरे को भी आग के हवाले कर दिया जाता है।
कचरे के जलने से डंपिंग ग्राउंड के आसपास उड़ रही कार्बन डाइऑक्साइड गैस से लोगों को सांस लेने में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। दुर्गंध से परेशान हजारों लोग अस्थमा, चर्म रोग की चपेट में आकर उपचार की मजबूरी झेल रहे हैं। स्थानीय क्षेत्रवासियों की बार-बार गुहार के बावजूद महानगरपालिका प्रशासन लोगों की सुरक्षा को नजरअंदाज कर कुंभकरण की नींद सो रहा है।
गौरतलब है कि भिवंडी शहर का समूचा कचरा चाबिंद्रा स्थित डंपिंग ग्राउंड में एकत्रित किया जाता है। महानगरपालिका प्रशासन की मानें तो डंपिंग ग्राउंड में कचरे को सुनियोजित तरीके से डंप किए जाने की पुख्ता व्यवस्था सहित कीटनाशक दवा का छिड़काव निरंतर किया जाता है ताकि रहिवासी क्षेत्र में कदापि दुर्गंध न फैल सकें।
लोगों को हो रही सांस लेने में कठिनाई महानगरपालिका के दावे के उलट डंपिंग ग्राउंड परिसर में शहर का सूखा, गीला कचरा अनियंत्रित तरीके से कचरा ठेकेदार द्वारा डंपिंग ग्राउंड में फेंक कर आग लगाने का कार्य किया जाता है जिससे समूचे क्षेत्र में काला धुआं पसरा रहता है। कचरे के धुएं से लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
आलम यह है कि शहर में सफाई कार्य में जुटे सफाई कर्मी भी जगह-जगह पर कचरा जमा कर उठाना न पड़े इसलिए आग लगा देते हैं, ताकि कचरा जल जाए। जलाए गए कचरे के उपरांत प्रदूषित राख भी वहीं छोड़ दी जाती है।मानसरोवर रहिवासी क्षेत्र की पहाड़ी के नीचे चाबिंद्रा डंपिंग ग्राउंड होने की वजह से हजारों मानसरोवर निवासी स्वच्छ हवा में सांस लेने की जगह कार्बन डाइऑक्साइड रूपी जहर सांस द्वारा शरीर में लेने की मजबूरी झेल रहे हैं।
स्वच्छ हवा की जगह सांस में जा रही कार्बन डाइऑक्साइड गैस पर्यावरण प्रेमी प्रोफेसर अरुण सिंह की मानें तो डंपिंग ग्राउंड में कचरा जलाया जाने से लोगों को अनेक बीमारियां हो सकती हैं। बदबूदार कचरे की दुर्गंध सांस के रूप में शरीर के अंदर जाने से दमा, सांस की बीमारी और चर्म रोग जैसी घातक बीमारी होने के आसार हैं।
डंपिंग ग्राउंड परिसर के रहिवासियों की स्वास्थ्य सुरक्षा के मद्देनजर महानगरपालिका प्रशासन कचरे को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के तहत डंपिंग किए जाने के लिए उपाय योजना की सख्त जरूरत है। समाजसेवी अशोक पाटिल, टीबी सिंह, महेंद्र सिंह, रविंद्र त्रिपाठी, बलराम सिंह आदि ने बताया कि महानगरपालिका के सफाईकर्मी कचरे को इकट्ठा कर जला देते हैं ताकि कचरे को उठाना न पड़े। कचरे की दुर्गंध से सांस लेने में तकलीफ होती है।
शिकायत के बावजूद महानगरपालिका प्रशासन कोई जरूरी कदम नहीं उठाता है। महानगरपालिका प्रशासन की लापरवाही उजागर बीजेपी के वरिष्ठ पूर्व नगरसेवक नीलेश चौधरी का कहना है कि कचरा डंपिंग ग्राउंड से उठती बदबू से लोग बेहद त्रस्त हैं। नागरिकों द्वारा महानगरपालिका प्रशासन से बार-बार शिकायत किए जाने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
कचरा डंपिंग ग्राउंड परिसर स्थित गायत्री नगर, रामनगर, गौतम कंपाउंड, नवी बस्ती, फेना गांव, फेना पाड़ा, मानसरोवर आदि क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों का कचरा डंपिंग ग्राउंड में जलाए जा रहे कचरे की बदबूदार हवा ने जीना मुहाल कर दिया है। महानगरपालिका प्रशासन लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। महानगरपालिका प्रशासन को नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चाबिंद्रा स्थित कचरा डंपिंग ग्राउंड को अन्यत्र जगह पर स्थानांतरित करना बेहद जरूरी है।
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