
मनपा के केईएम अस्पताल में रोज आते हैं ब्रेन ‘स्ट्रोक’ ७०-८० मरीज...
70-80 brain 'stroke' patients come to KEM Hospital of Municipal Corporation...
ब्रेन ‘स्ट्रोक’ सामान्यत: बुढ़ापे की बीमारी मानी जाती है। लेकिन इस भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी ने युवाओं के ब्रेन पर भी गहरा वार किया है। इन दिनों अनेक युवा ब्रेन स्ट्रोक की शिकायतें लेकर अस्पताल में पहुंच रहे हैं। मनपा के केईएम अस्पताल में ही महीने में २४० स्ट्रोक के मरीज भर्ती हो रहे हैं।
मुंबई : ब्रेन ‘स्ट्रोक’ सामान्यत: बुढ़ापे की बीमारी मानी जाती है। लेकिन इस भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी ने युवाओं के ब्रेन पर भी गहरा वार किया है। इन दिनों अनेक युवा ब्रेन स्ट्रोक की शिकायतें लेकर अस्पताल में पहुंच रहे हैं। मनपा के केईएम अस्पताल में ही महीने में २४० स्ट्रोक के मरीज भर्ती हो रहे हैं।
वहीं चिकित्सकों का कहना है कि स्ट्रोक का स्ट्राइक रेट इतना खतरनाक होता है कि यह एक मिनट में ३२ हजार मस्तिष्क कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। उल्लेखनीय है कि हिंदुस्थान गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बोझ का सामना कर रहा है। इनमें से स्ट्रोक ‘सबसे’ आम बीमारियों में से एक है।
स्ट्रोक का मतलब ब्रेन अटैक है, जो देश में विकलांगता का एक प्रमुख कारण भी है। आयु चाहे जो हो, स्ट्रोक किसी को और कभी भी हो सकता है। वहीं बीते कुछ सालों से मुंबई जैसे शहरों में रहनेवाले लोगों की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आया है। इस बदलाव ने खासकर युवाओं में खतरा पैदा कर दिया है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि तेजी से बढ़ रहे स्ट्रोक के मामलों के लिए खुद युवा ही जिम्मेदार हैं।
केईएम अस्पताल में स्ट्रोक विभाग के प्रमुख डॉ. नितिन डांगे ने कहा कि जीवन शैली और भोजन की आदतों में बदलाव के कारण देश में बीते कुछ सालों से स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं। जंक फूड, तली हुई चीजें खाना, गतिहीन जीवन शैली, धूम्रपान, व्यायाम की कमी, मधुमेह मेलिटस, उच्च रक्तचाप और विकृत लिपिड प्रोफाइल आदि जैसे कारणों के कारण स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। केईएम अस्पताल की ओपीडी में जहां करीब २०० पुराने स्ट्रोक के मरीज इलाज कराने आ रहे हैं, वहीं हर महीने २२०-२४० नए मरीज भर्ती हो रहे हैं।
डांगे ने कहा कि स्ट्रोक के कारण स्थाई विकलांगता या मौत भी हो सकती है इसलिए स्ट्रोक का झटका आने पर समय रहते मरीज को इलाज मिलना जरूरी है। एक अध्ययन से पता चला है कि स्ट्रोक का झटका आने पर एक मिनट में लगभग ३२ हजार मस्तिष्क कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। हाथ की कमजोरी, चेहरा लटकना, बोलने में कठिनाई आदि लक्षण दिखाई देने पर मरीज को तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचें, ताकि गोल्डन ऑवर में पीड़ित व्यक्ति का इलाज किया जा सके।
Related Posts
Post Comment
Latest News

Comment List