मुंबई : पर्यावरण में हो रहा बदलाव, रोग को न्यौता…
Rokthok Lekhani
मुंबई : मल्टीपल स्केरोसिस नामक बीमारी मनुष्य के दिमाग पर अटैक कर रही है। आलम यह है कि हर पांच मिनट में एक व्यक्ति इस बीमारी की जद में आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस रोग के पीछे के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है लेकिन पहले यह अनुवांशिक हुआ करता था। हालांकि पिछले कुछ सालों से हो रहा क्लाइमेट चेंज यानी पर्यावरण में हो रहा बदलाव भी इस रोग को न्यौता देने में अहम् भूमिका निभा रहा है। जानकारों का कहना है कि इस बीमारी को लेकर आम नागरिकों में जन जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है।
जानकारी के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस रोग के मामले अधिक हैं। यह औसतन २५ से ३० साल की उम्र में शुरू होता है। कुछ रोगियों में लक्षण दिनों या हफ्तों तक बने रहते हैं। साथ ही कई महीनों अथवा वर्षों के बाद लक्षण फिर से दिखाई देने लगते हैं। इसे रिलैप्स-रेमिटिंग कहा जाता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. चंद्रशेखर मेश्राम का कहना है कि इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है।
रोगी में यदि समय पर बीमारी का पता चलता है तो वैकल्पिक इलाज उसकी परेशानी को कम कर देता है। पिछले २० वर्षों में बीमारी को वंâट्रोल में रखने के लिए कई दवाएं विकसित की गई हैं। मुंबई अस्पताल, न्यूरो साइंस के निदेशक डॉ. बीएस सिंघल के अनुसार कुछ दशक पहले हिंदुस्थान में इस बीमारी को दुर्लभ माना जाता था। हालांकि न्यूरोलॉजिस्ट की संख्या बढ़ने के कारण इसका जल्द निदान किया जा रहा है। देश में प्रति १० लाख लोगों पर ५ से १० मरीज इस बीमारी से ग्रसित मिल रहे हैं।
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