वैश्विक जलवायु परिवर्तन का असर पूरे देश पर…बेमौसम बारिश और गर्मी की संभावना
Rokthok Lekhani
मुंबई : वैश्विक जलवायु परिवर्तन का असर पूरे देश पर दिखाई दे रहा है। मार्च महीने से ही कहीं बेमौसम बारिश तो कहीं तपा देनेवाली गर्मी लोगों को तड़पा रही है। भीषण गर्मी से अब लोग यही कह रहे हैं कि मेघा रे… मेघा रे… कब तक बरसेगा रे? इस बीच `ला नीनो’ और `अल नीनो’ की बदलती स्थितियों से मौसम वैज्ञानिक भी हैरान हैं। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल भी मानसून लुकाछिपी का खेल खेल सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले पांच साल से देश में यह स्थितियां असर डाल रही हैं।
इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन है। मौसम विभाग के अनुसार मौसम का यह खेल आगामी कुछ वर्षों तक चलता रहेगा। हालांकि इस साल `ला नीनो’ और `अल नीनो’ के मध्य में देशभर में सामान्य बारिश होगी। इस साल सूखे के आसार नहीं हैं। यह मानसून कृषि के लिए बेहतर साबित होगा। केरल में २७ मई को मानसून के पहुंचने की संभावना जताई गई थी। इसे देखकर अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि बादल लेटलतीफ हो सकते हैं। जब मानसून अपना रूप लेगा तो कहीं कम बारिश तो कहीं ज्यादा बारिश के आसार दिखाई दे रहे हैं।
मौसमी चक्रकाल में कभी मानसून कुछ इलाकों पर जलप्रलय बनकर टूटेगा। इस बीच चक्रवात के भी आसार हैं। मुंबई प्रादेशिक मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक जयंत सरकार ने बताया कि कल केरल में मानसूनी बादल पहुंच गए। मौसम विभाग के अनुसार कल २९ मई को मानसून ने केरल में दस्तक दी। सामान्य समय से तीन दिन पहले मानसून केरल पहुंचा है।
आगामी दिनों में केरल के बाकी इलाकों के साथ तटीय कर्नाटक और महाराष्ट्र में मानसून का सिस्टम आगे बढ़ेगा। मौसम विभाग ने पहले अनुमान लगाया था कि बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान `आसनी’ के प्रभाव से इस बार मानसून २७ मई को केरल पहुंचेगा। लक्षद्वीप में ३० मई को भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने रविवार से लेकर १ जून के दौरान केरल में भारी बारिश की संभावना जताई है। इस बीच मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है।
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