मीरा-भायंदर शहर की सड़क निर्माण के टेंडर पर कमीशनखोरी...६ माह में ही उखड़ने लगीं सड़क!

Commissioning on tender for road construction of Mira-Bhayandar city...the road started getting uprooted within 6 months!

मीरा-भायंदर शहर की सड़क निर्माण के टेंडर पर कमीशनखोरी...६ माह में ही उखड़ने लगीं सड़क!

मीरा-भायंदर शहर की सड़कों को गड्ढामुक्त, मजबूत, टिकाऊ और पैच वर्क में खर्च होने वाली निधि के बचत की संकल्पना को लेकर सीमेंट की सड़कें बनाने का कार्य शुरू किया गया था। इसके तहत शहर की करीब ३५ से ४० प्रतिशत सड़कें सीमेंट की बनाई जा चुकी हैं।

भायंदर : मीरा-भायंदर शहर की सड़कों को गड्ढामुक्त, मजबूत, टिकाऊ और पैच वर्क में खर्च होने वाली निधि के बचत की संकल्पना को लेकर सीमेंट की सड़कें बनाने का कार्य शुरू किया गया था। इसके तहत शहर की करीब ३५ से ४० प्रतिशत सड़कें सीमेंट की बनाई जा चुकी हैं। करीब ६२ सड़कें अभी सीमेंट की बनाई जानी बाकी हैं।

इसके लिए हाल ही में राज्य सरकार ने निजी, सरकारी वित्तीय संस्थानों से ५०० करोड़ रुपए कर्ज लेने की अनुमति मनपा प्रशासन को दी है। अब तक बनाई गई या निर्माणाधीन सीमेंट की सड़कों के कार्य की गुणवत्ता खराब होने के कारण उनमें अभी से दरारें पड़ने लगी हैं। इसको लेकर सड़क निर्माण कार्यों के जानकारों का कहना है कि सड़क निर्माण के टेंडर पर कमीशनखोरी का ग्रहण लग गया है।

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कहते हैं प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता है? उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो मीरा-रोड-पूर्व में शिवार गार्डन से एन. एच हाईस्कूल (नयानगर अस्मिता ऑर्चिड) तक जाने वाली सड़क को सीमेंट की सड़क बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसका टेंडर (ठेका) एस. के. डेवलपर्स नामक कंपनी को ११.०९ प्रतिशत की अधिक दर से ४ करोड़ ३० लाख ४४ हजार २८९ रुपए में दिया गया है।

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८ अप्रैल २०२२ को एक वर्ष के कार्य मुद्दत पर दिए गए थे। सड़क के निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए मनपा के कनिष्ठ अभियंता के साथ साथ मे. प्रकाश इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन एंड मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी प्रा.लि. नामक कंपनी को त्र्यस्थ (थर्ड पार्टी) लेखा-परीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।

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अप्रैल २०२२ से नवंबर माह तक उक्त सड़क की आधी (एक तरफ) सीमेंट की सड़क का निर्माण पूरा हो गया है और बाकी बची हुई सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इन ६ माह में बनी सीमेंट की सड़कों में जगह-जगह दरारें पड़ने की शिकायतें आने लगी हैं। इससे पूर्व भी बनाई गई सीमेंट की सड़कों में दरारें, गड्ढे पड़ने और फटने के मामले सामने आने लगे हैं, जबकि ऐसी सीमेंट की सड़कों की मजबूती की गारंटी २५ से ३० वर्षों की रहती है।

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इस संबंध में मनपा के सार्वजनिक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता नितिन मुकने से पूछने पर उन्होंने उपअभियंता यतिन जाधव से इस संदर्भ में जानकारी लेने की बात कहते हुए बताया कि वे इस निर्माण कार्य को नहीं देख रहे हैं। नियमत: किसी भी निर्माण कार्यस्थल पर उस कार्य से संबंधित कार्य की लागत, कार्य पूर्ण करने की अवधि, कार्य का स्वरूप, ठेका कंपनी आदि का पूर्ण विवरण का सूचना फलक लगाना अनिवार्य होता है। उल्लेखनीय है कि उक्त सड़क निर्माण स्थल पर ऐसी कोई जानकारी का फलक नहीं लगाया गया है।