कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल के एंटनी ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की
Anil K Antony, son of senior Congress leader AK Antony, announced his resignation from the party.
नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल के एंटनी ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की। अनिल के एंटनी ने ट्विटर पर कहा, मैंने कांग्रेस से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मुझ पर एक ट्वीट को वापस लेने के लिए असहिष्णुता के साथ दबाव बनाया जा रहा था। वह भी उनकी तरफ से जो फ्रीडम ऑफ स्पीच के लिए खड़े होने की बात करते हैं। मैंने मना कर दिया। प्रेम का प्रचार करने वाले फेसबुक पर मेरे खिलाफ नफरत/अपशब्द का इस्तेमाल कर रहे थे। इसे ही पाखंड कहते हैं। जीवन ऐसा ही है।
वह कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल के राष्ट्रीय समन्वयक थे।
अपने इस्तीफे में अनिल के एंटनी ने कहा, कल जो कुछ भी हुआ, उसके बाद मुझे लगता है कि कांग्रेस में केपीसीसी की डिजिटल मीडिया के संयोजक के रुप में और एआईसीसी की सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशन सेल के राष्ट्रीय सह-समन्वयक के रूप में मेरी सभी भूमिकाओं को छोड़ने का समय आ गया है।
मैं सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं, विशेष रूप से केरल राज्य नेतृत्व, और डॉ. शशि थरूर को, जिन्होंने अनगिनत पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मेरा समर्थन किया और मेरे कार्यकाल के दौरान मुझे राह दिखाई।
मुझे यकीन है कि मेरे पास कुछ अनोखी ताकतें हैं, जिससे मुझे पार्टी में अलग-अलग तरह से योगदान का मौका मिला। हालांकि, अब मुझे आपके, आपके साथियों और कांग्रेस के नेतृत्व के करीबियों की तरफ से ज्ञात हो गया है कि वे सिर्फ चाटुकारों और चमचों के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं, जो कि बिना सवाल मांगों को पूरा करेंगे। सिर्फ यही अब एकमात्र योग्यता है। अब हमारे पास ज्यादा कुछ साझा करने के लिए है भी नहीं।
मैं इस नकारात्मकता को बिना झेले कहानी, जो कि भारत के मूल हितों के खिलाफ है, में शामिल हुए बिना ही आगे अपने दूसरे पेशेवर कार्यों को जारी रखूंगा। मुझे लगता है कि यह बातें समय के साथ ही इतिहास के कूड़ेदान तक पहुंच जाएंगी।
ट्वीट में, जिसे उन्होंने अपने बुधवार के पोस्ट में संदर्भित किया था, वह था: बीजेपी के साथ बड़े मतभेदों के बावजूद, मुझे लगता है कि भारत में बीबीसी के विचार भारत के खिलाफ पूर्वाग्रहोंके एक लंबे इतिहास का हिस्सा है, और जैक स्ट्रॉ जो इराक युद्ध के पीछे का दिमाग है। भारतीय संस्थानों पर उनके विचार एक खतरनाक मिसाल कायम कर रहा है, हमारी संप्रभुता को कमजोर करेगा।''
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